Sankashti Chaturthi 2023 अधिक मास भगवान विष्णु कासमर्पित हैं। अधिक मास में गणपति की पूजा करने से घर में जल्द मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं।
सावन में अधिक मास की विभुवन संकष्टी चतुर्थी 4 अगस्त 2023, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
Sankashti Chaturthi 2023। अधिक मास का कृष्ण पक्ष आज 2 अगस्त 2023 से शुरू हो चुका है और इस दौरान कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विभुवन संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत 3 साल में एक बार आता है। ऐसे में अधिक मास के दौरान भगवान गणपति की विशेष पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि, Sankashti Chaturthi की पूजा विधि-विधान से करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और धन के साथ-साथ सुध संपदा प्राप्त होती है।
जानें कब है विभुवन संकष्टी चतुर्थी
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, सावन में अधिक मास की विभुवन संकष्टी चतुर्थी 4 अगस्त 2023, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान गणेश की आराधना के लिए समर्पित होता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रहता है और इस दौरान चंद्रदेव की पूजा विशेष महत्व रखती है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाना चाहिए।
ये है पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 4 अगस्त 2023 को दोपहर 12.45 बजे शुरू हो जाएगी और इस तिथि का समापन 05 अगस्त 2023 को सुबह 09.39 मिनट पर होगा। संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा की पूजा का मुहूर्त 4 अगस्त को रहेगा।
गणपति पूजा सुबह का मुहूर्त – सुबह 07.25 – सुबह 09.05
शाम का मुहूर्त – शाम 05.29 – रात 07.10
चंद्रोदय समय– 4 अगस्त को रात 09.20 मिनट
विभुवन संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, अधिक मास भगवान विष्णु को समर्पित हैं। अधिक मास में गणपति की पूजा करने से घर में जल्द मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। भगवान गणेश की कृपा से विवाद में आ रही देरी भी दूर होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। विधि-विधान से पूजा करने पर घर पर सुख-समृद्धि बनी रहती है।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’