सिटी न्यूज़ रायपुर। उत्तराखंड के जोशीमठ में नए साल की शुरुआत एक नई मुसीबत के साथ हुई, सड़कों और घाटियों से शुरू हुई दरारें लोगों के घरों तक जा पहुंची। मजबूरन उन्हें अपना बसा-बसाया आशियाना छोड़कर जाना पड़ा, उनकी तो मानिए दुनिया ही उजड़ गई। यह शहर लगातार धंसता जा रहा है। इस बीच लोगों से इसे खाली करने की लगातार अपील की गई, पहले तो लोग नहीं माने मगर बढ़ते खतरे को देखते हुए उन्हें भी हामी भरनी ही पड़ी।
यहाँ रहने वाले कुल 237 परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट करना स्थानीय प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती थी। उन्हें फिलहाल अस्थायी केंद्रों में शिफ्ट किया जा रहा है. इन कैम्पों में अब तक 237 परिवारों को पहुंचाया जा चुका है. प्रशासन ने इनके ठहरने के साथ-साथ खाने, ठंड से बचने जैसी तमाम व्यवस्थाएं कर रखी हैं.
घरों, दो होटल के बाद अब एक पूरी कॉलोनी इसकी चपेट में आ गई है, जिसके बाद इसे ध्वस्त किए जाने का फैसला किया गया है. जोशीमठ की जेपी कॉलोनी के निरीक्षण के बाद पाया गया है कि इसे काफी नुकसान पहुंचा है और इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती है. कॉलोनी में 30 से अधिक घर हैं जिनमें बड़ी दरारें आ गई हैं और ये बढ़ती ही जा रही हैं. खतरे को देखते हुए कॉलोनी के क्षतिग्रस्त भवनों को गिराने की तैयारी शुरू हो गई है.
इस कॉलोनी को भी पहले से प्रस्तावित माउंट व्यू और मलारी इन होटल की तरह ही गिराया जाएगा.उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव रंजीत कुमार सिन्हा टीम के साथ स्थिति की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने के लिए जोशीमठ के दूसरी तरफ हाथी पर्वत की ओर गए थे. हाल ही में निरीक्षण के दौरान राज्य की विभिन्न एजेंसियों की टीम ने पाया कि जेपी कॉलोनी का एक सिरा भू-धंसाव के चलते सीधी रेखा में गंभीर क्षतिग्रस्त है. कॉलोनी के नीचे से पानी बह रहा है.
इस बीच जोशीमठ में दरार वाले घरों की संख्या बढ़कर 849 हो गई है. 165 घरों को असुरक्षित चिह्नित किया गया है. रंजीत सिन्हा ने बताया कि नए घरों में दरारें नहीं देखी गई हैं. पुरानी जो दरारें थीं उनमें 1 से 2 मिलीमीटर की वृद्धि हुई है. दरार वाले घरों की बढ़ती संख्या पर उन्होंने कहा कि सर्वे का काम जारी है. इस दौरान जिन घरों में दरार दिखती है, उन्हें दर्ज किया जाता है. इसका मतलब यह नहीं है कि ये नई दरारें हैं.
वहीं हैदराबाद के राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की के विशेषज्ञों की टीम सोमवार (16 जनवरी) को रुड़की पहुंच गई. टीम ने जोशीमठ क्षेत्र का गहन भूभौतिकीय सर्वेक्षण शुरू किया है जिसमें घरों में दरारों की समस्या को ठीक करने और पानी के स्रोत का पता लगाने की कोशिश की जा रही है. ब्यूरो रिपोर्ट।