वैश्विक स्तर पर किरकिरी से बौखलाए अडानी, 88 सवालों की रिपोर्ट पर आया यह जवाब

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सिटी न्यूज़ रायपुर। जब से अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडेनबर्ग की अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है, तब से गौतम अडानी चैन से सो नहीं पाए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि फर्म ने कुल 88 प्रश्न अडानी समूह से पूछे थे जिनमें अडानी ग्रुप में दागदारों की शीर्ष पदों पर नियुक्ति से लेकर अन्य कई महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल थे अब इस पर अडानी ग्रुप की तरफ से एक बयान जारी किया गया है। ग्रुप ने हिंडनबर्ग के आरोपों पर 413 पेज का जवाब भी जारी किया है।

अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों को भारत पर हमला बताया है।उसके मुताबिक वह 24 जनवरी को ‘मैडऑफ्स ऑफ मैनहट्टन’ हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को पढ़कर हैरान और काफी परेशान है। ग्रुप ने कहा कि यह रिपोर्ट झूठ के अलावा और कुछ नहीं है। हिंडनबर्ग के दस्तावेज चुनिंदा मिस-इन्फॉर्मेशन का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है। इसमें एक खास उद्देश्य के लिए ग्रुप को बदनाम करने के लिए निराधार आरोप लगाए गए हैं।

अडानी समूह ने दावा किया कि बड़ी संख्या में निवेशकों को नुकसान पहुंचाते हुए शॉर्ट सेलिंग के जरिए मोटा मुनाफा कमाने के लिए हिंडनबर्ग सिक्युरिटीज ने एक झूठा बाजार बनाने की कोशिश कर रहा है। ग्रुप ने कहा, ‘यह बहुत चिंता की बात है कि बिना किसी विश्वसनीयता या एथिक्स के हजारों मील दूर बैठी एक संस्था के बयानों ने हमारे निवेशकों पर गंभीर रूप से बुरा प्रभाव डाला है। इस रिपोर्ट की दुर्भावनापूर्ण मंशा इसके टाइम से भी साफ है। यह रिपोर्ट तब आई, जब अडानी एंटरप्राइजेज इक्विटी शेयरों का देश का सबसे बड़ा एफपीओ ला रहा था।

अडानी ग्रुप ने कहा, ‘यह केवल किसी खास कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं हैं, बल्कि भारत और भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता, गुणवत्ता के साथ ही भारत की ग्रोथ स्टोरी और देश की महत्वकांक्षा पर एक सुनियोजित हमला है।’जिसमें तीन तथ्य शामिल हैं :

झूठी कहानी गढ़ने के लिए पहले से ही पब्लिक डोमेन में मौजूद मामलों की सलेक्टिव और मैनिपुलेटिव प्रेजेंटेशन।

लीगल और अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स और इंडस्ट्री प्रैक्टिस की पूर्ण अज्ञानता या जानबूझकर अवहेलना करना।

नियामकों और न्यायपालिका सहित भारतीय संस्थानों की पूरी तरह अवमानना।

413 पन्नों की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के सभी 88 सवालों के जवाब दिए. अडानी समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) सिंह ने कहा- ‘सभी 88 सवालों का जवाब दिया गया है और भले ही हमने सभी 88 सवालों के जवाब नहीं दिए हों. उन्होंने हमारे खुलासों का इस्तेमाल किया और कोई रिसर्च नहीं किया. इनमें से 68 प्रश्न फर्जी और भ्रामक हैं. उन्होंने कोई रिसर्च नहीं किया, बल्कि कट-कॉपी और पेस्ट किया है और रिपोर्ट एफपीओ को नुकसान पहुंचाने के लिए थी. जुगशिंदर सिंह ने कहा कि यह और भी बुरा हो सकता है कि उन्होंने शोध किया और जानबूझकर जनता को गुमराह किया. आपको उनसे पूछना चाहिए कि उन्होंने 68 सवालों को गलत तरीके से क्यों पेश किया.’

बाकी के 20 ऐसे सवाल थे कि अडानी समूह आलोचना को स्वीकार क्यों नहीं करता. उन्होंने कहा कि हम करते हैं, लेकिन हम झूठ को स्वीकार नहीं करते हैं. फिर किसी के निजी पारिवारिक ऑफिस पर प्रश्न होते हैं, तो हम उनका उत्तर नहीं दे सकते. सिंह ने कहा कि हम सभी जवाब दे सकते थे.CFO ने कहा कि यहां तक कि हिंडनबर्ग की झूठ और गलत बयान पर आधारित फर्जी रिपोर्ट में भी अडानी समूह के कारोबार में कुछ गलत नहीं मिला. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि उस रिपोर्ट में भी हमारे फंडामेंटल बिजनेस में कुछ भी नहीं मिला है.