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बिलासपुर जिले की राजनीतिक परिस्थितियों में दोनों ही दलों के निर्णय पर नजर डालें तो जिले की छह सीटों पर भाजपा ने राज्य गठन के बाद से आजतक महिला उम्मीदवार को टिकट नहीं दी है।

HIGHLIGHTS

  1. संभाग की 24 विधानसभा क्षेत्रों में से दो या फिर तीन सीटों पर ही महिला प्रत्याशी उतारा
  2. बिलासपुर जिले की छह सीटों पर भाजपा ने आजतक महिला उम्मीदवार को नहीं दी टिकट
  3. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रश्मि सिंह ने तखतपुर विधानसभा क्षेत्र से दर्ज की थी जीत

नए संसद भवन में महिला शक्ति वंदन के बीच यह बात जानना भी जरूरी है कि राज्य गठन के बाद बिलासपुर संभाग की राजनीति में छत्‍तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज रहने वाले दल के अलावा प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका निभाने वाले रणनीतिकारों ने महिला प्रत्याशी पर भरोसा नहीं जताया है। संभाग की 24 विधानसभा क्षेत्रों में से दो या फिर तीन सीटों पर ही महिला प्रत्याशी उतारा है।

बिलासपुर जिले की राजनीतिक परिस्थितियों में दोनों ही दलों के निर्णय पर नजर डालें तो जिले की छह सीटों पर भाजपा ने राज्य गठन के बाद से आजतक महिला उम्मीदवार को टिकट नहीं दी है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तखतपुर विधानसभा क्षेत्र से रश्मि सिंह को चुनाव मैदान में उतारा। यह प्रयोग सफल रहा।

2023 के चुनाव में महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने की अटकलें

भाजपा के कब्जे वाली सीट पर जीत मिल गई। महिला उम्मीदवार के चुनाव जीतने के बाद सत्ताधारी दल ने राजनीतिक रूप से उन्हें उपकृत भी किया। संसदीय सचिव का दर्जा देकर उनका सियासी कद भी बढ़ाया।

संसद में महिला बिल को लेकर शुरू हुई मशक्कत और चल रही प्रक्रिया के बीच अब इस बात की संभावना भी बनने लगी है कि मौजूदा विधानसभा चुनाव में सत्ता और विपक्षी दल की ओर से महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं।

ऐसे में टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रहे दावेदारों की परेशानी बढ़ने लगी है। वे इस बात की संभावना भी टटोलने लगे हैं कि महिला प्रत्याशी उतारने की स्थिति में किस विधानसभा की ओर अपनी रणनीति को फोकस करेंगे।

चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों द्वारा सर्वे में महिला प्रत्याशी उतारने की स्थिति में जीत की संभावना पर भी गौर करने कहा जा रहा है। सर्वे रिपोर्ट में यह सवाल भी प्रमुखता के साथ पूछने को कहा जा रहा है कि विधानसभा सीट से महिला उम्मीदवार उतारने की स्थिति में संभावना क्या बनेगी। मतदाताओें का मन टटोलने का काम भी आने वाले दिनों में होगा।

संभाग की सीटें जहां आजतक नजर नहीं आईं महिला प्रत्याशी

कोरबा जिले की कोरबा, रामपुर, कटघोरा, पाली तानाखार के अलावा रायगढ़ जिले की रायगढ़ व खरसिया विधानसभा सीट में महिला प्रत्याशी पर दोनों ही दलों ने भरोसा नहीं जताया है।

यहां मिला अवसर, विधायक भी बनीं

सारंगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उत्तरी जांगड़े वर्तमान में विधायक हैं। इससे पहले वर्ष 20132 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने केरा बाई मनहर को उम्मीदवार बनाया था। उन्होंने जीत भी हासिल की थी। बसपा ने कामता जोल्हे को उम्मीदवार बनाया था। वे भी विधायक बनने में सफल रहीं।

लैलूंगा से वर्ष 2013 में भाजपा ने सुनीति राठिया को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने जीत दर्ज की। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सक्ती से सरोजा राठौर को चुनाव मैदान में उतारा था। वे भी विधायक बनीं। जांजगीर जिले के चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने संयोगिता जूदेव को उममीदवार बनाया था, जो नहीं जीत पाईं।

एक संयोग ऐसा भी

वर्ष 2005 में हुए उपचुनाव में कोटा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने डा रेणु जोगी को उम्मीदवार बनाया। तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। डा जोगी चुनाव जीतने में सफल रही। वर्ष 2005 से वर्ष 2013 तक डा जोगी जिले की एकमात्र महिला विधायक रहीं।

वर्ष 2018 में राजनीतिक समीकरण बदला और डा जोगी कांग्रेस के बजाय जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) से उम्मीदवार बनीं और चुनाव जीतने में सफल रहीं। बसपा से उनकी बहू ऋचा जोगी अकलतरा से चुनाव मैदान में उतरीं, लेकिन वह चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाईं।