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बस्तर संभाग में निवासरत प्रमुख आदिवासी समुदाय- गोड़, हल्बा, भतरा, धुरवा, मुण्डा, मुरिया, कोया समुदाय के लोगों में राज्य सरकार के इस फैसले का बड़ा प्रभाव देखने को मिल सकता है। साथ ही बस्तर की सांस्कृतिक विरासत में यह निर्णय आदिवासियों को प्रभावित कर सकता है।

HIGHLIGHTS

  1. देवगुड़ी, मातागुड़ी-गोटूल के अभिलेखों को बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण ने पुरखती कागजात में करवाया लिपिबद्ध
  2. 3,456 देवगुड़ी एवं मातागुड़ियों सहित सांस्कृतिक धरोहरों को उनके नाम से जारी किया गया सामुदायिक वनाधिकार मान्यता पत्र
  3. 7,075 मातागुड़ी, देवगुड़ी, गोटूल, प्राचीन मृतक स्मारक के लिए 2,607.20 हेक्टेयर (6,466 एकड़) भूमि राजस्व अभिलेखों में प्रविष्टि कर संरक्षित किया

 विधानसभा चुनाव दहलीज पर हैं। ऐसे में बस्तर संभाग की 12 सीटों को साधना कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए बड़ा लक्ष्य है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने परचम लहराया था।

बस्तर की सीटें सुरक्षित रखने कांग्रेस ने अब बड़ा दांव खेला है। सत्ताधारी पार्टी ने उस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए ताकत झोंक दी है, जिसका बरसों से आदिवासी समुदाय को इंतजार था।

बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों समुदाय की आस्था, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माने जाने वाले देवगुड़ियों और मातागुड़ियों के संरक्षण के साथ जीर्णोद्धार होगा। बस्तर में देवगुड़ी और मातागुड़ी आदिवासी समाज की आस्था का प्रतीक है।
इसके साथ ही सत्ताधारी पार्टी ने बस्तर के गांव-गांव में आदिवासी नायकों और वीरांगनाओं की प्रतिमा स्थापना के साथ ही ऐतिहासिक विद्रोहों पर डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाने का रास्ता साफ कर दिया है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक बस्तर संभाग में निवासरत प्रमुख आदिवासी समुदाय- गोड़, हल्बा, भतरा, धुरवा, मुण्डा, मुरिया, कोया समुदाय के लोगों में राज्य सरकार के इस फैसले का बड़ा प्रभाव देखने को मिल सकता है। साथ ही बस्तर की सांस्कृतिक विरासत में यह निर्णय आदिवासियों को प्रभावित कर सकता है।

82 विकासखडों में जैतखाम

राज्य सरकार ने एससी वोटरों को साधने के लिए एससी आबादी वाले प्रदेश के 82 विकासखंडों में जैतखाम निर्माण का निर्णय लिया है।
4 अक्टूबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निर्माण का शिलान्यास किया था। जैतखाम सतनामी समाज के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है।

वीर-वीरांगनाओं की प्रतिमा- ऐतिहासिक विद्रोहों पर फिल्में

बस्तर अंचल के महान वीर सपूतों एवं वीरांगनाओं की स्मृति को चिरस्थायी एवं जीवंत बनाए रखने के लिए वीर सपूतों एवं वीरांगनाओं की प्रतिमा की स्थापना के साथ ही बस्तर के ऐतिहासिक विद्रोह पर डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाई जाएगी।
इन विद्रोहों में आदिवासी विद्रोह, हल्बा विद्रोह, भोपालपट्नम विद्रोह, परल कोट विद्रोह, तारापुर विद्रोह, मेरिया माड़िया
विद्रोह, लिंगागिरी विद्रोह, कोई विद्रोह, मुरिया विद्रोह, भूमकाल विद्रोह आदि शामिल हैं। सरकार का मानना है कि आदिवासी समुदाय के संघर्षों को नई पीढ़ी याद कर सके। प्रतिमा की स्थापना के लिए 37 कार्यों के लिए 3.92 करोड़ रुपये प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत किए गए हैं। ये प्रतिमाएं अलग-अलग विकासखंडों में स्थापित किए जाएंगे।

सामुदायिक वनाधिकार मान्यता-पत्र

देवगुड़ियों एवं मातागुड़ियों सहित गोटुल एवं प्राचीन मृतक स्मारकों के भूमि को संरक्षित करने के उद्देश्य से सामुदायिक वनाधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया गया है।
इन देवगुड़ियों-मातागुड़ियों और गोटुल एवं प्राचीन मृतक स्मारकों को उनके नाम से सामुदायिक वनाधिकार मान्यता पत्र जारी किया गया है, ताकि इन धरोहरों के परिसरों को अवैध कब्जा से बचाया जा सके।
पौने पांच साल तक काम होता रहा
कांग्रेस के सत्ता में आते ही हमने बस्तर संभाग के देवगुड़ियों और मातागुड़ियों सहित प्राचीन स्मारकों के संरक्षण का बीड़ा उठाया। पौने पांच साल तक लगातार इस पर काम होता रहा। नई पीढ़ी के लिए यह समृद्ध परंपरा हमेशा के लिए संरक्षित हो चुकी है।
दीपक बैज अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस कमेटी
राजस्व अभिलेख में दर्ज करना बड़ी उपलब्धि
सांस्कृतिक महत्व के विरासत मातागुड़ी, देवगुड़ी, गोटूल और प्राचीन मृतक स्मारकों के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ राजस्व अभिलेख में दर्ज करना बड़ी उपलब्धि है। राज्य सरकार के आदेश के बाद लगातार काम हुआ साथ ही हमने पुरखती कागजात पुस्तिका भी तैयार की है।