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छत्‍तीसगढ़ के रहस्यमयी अबूझमाड़ से लेकर आदिवासी अंचलों के घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे विशेष संरक्षित जनजाति के लोग भी इस महासमर में अपनी छाप छोड़ेंगे।

HIGHLIGHTS

  1. छत्‍तीसगढ़ में अबूमाड़िया, कमार, पहाड़ी कोरवा, बरिहोर एवं बैगा जनजाति
  2. प्रदेश के 1.13 लाख ऐसे मतदाता जिन्हें कलेक्टर खुद ले जाएंगे वोट कराने
  3. छत्‍तीसगढ़ में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों को 100 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य

लोकतंत्र के महाउत्सव में ना सिर्फ गांव-शहर के लोग साक्षी बनेंगे बल्कि रहस्यमयी अबूझमाड़ से लेकर आदिवासी अंचलों के घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे विशेष संरक्षित जनजाति के लोग भी इस महासमर में अपनी छाप छोड़ेंगे। इसमें विशेष संरक्षित जनजाति भी शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है। विधानसभा चुनाव में यह बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं। निर्वाचन कार्यालय ने इनके 100 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा है।

खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ की पांच विशेष संरक्षित जनजातियों के मतदाताओं को शत-प्रतिशत मतदान के लिए जिला कलेक्टरों को जिम्मेदारी दी गई है। वे इन संरक्षित जनजातियों के एक-एक व्यक्ति को मतदान कराने के लिए मतदान केंद्र तक पहुंचाने का प्रबंध करेंगे। इनमें अबूमाड़िया, कमार, पहाड़ी कोरवा, बरिहोर एवं बैगा जनजाति के लोग शामिल हैं।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के मुताबिक छत्तीसगढ़ में इन पांच विशेष जनजातियों की आबादी प्रदेश में 1.86 लाख हैं, जिनमें 1.15 लाख की आबादी 18 वर्ष से ऊपर हैं। इनमें कुल 1.13 लाख मतदाता है। इन्हें लाने और ले जाने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। बीते दिनों तीन दिवसीय विशेष दौरे पर रहे भारत सरकार के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने विशेष संरक्षित जनजातियों पर विशेष समीक्षा की थी।

सिर्फ 2000 मतदाता सूची से बाहर

निर्वाचन कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि 1.86 लाख की जनसंख्या में 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले सिर्फ 2000 विशेष जनजाति के मतदाता सूची से बाहर है। निर्वाचन कार्यालय के अभियान के बाद 99 प्रतिशत लोगों को मतदाता बनाया जा चुका है। जिनका नाम सूची में शामिल नहीं होे पाया है, उनसे दोबारा संपर्क किया जाएगा।

1979 में नसबंदी पर लग गई थी रोक

विशेष संरक्षित जनजाति के लोगों के संरक्षण का अंदाजा इसी फैसले से लगाया जा सकता है कि अविभाजित मध्यप्रदेश के समय 15 सितंबर 1979 को इनके नसबंदी पर रोक लगाने का आदेश जारी किया गया था। इसके बाद वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने आदिवासी समुदाय की मांग के बाद नसबंदी के आदेश में संशोधन किया। यह विशेष जनजाति आदिवासी अंचल बस्तर, दंतेवाड़ा सहित रायगढ़, बिलासपुर, गरियाबंद, धमतरी, सरगुजा, बीजापुर, मुंगेली, राजनांदगांव, महासमुंद, रायगढ़, कोरबा, जशपुर, बलरामपुर आदि जिलों में निवासरत है।

47 अलग-अलग योजनाएं

राज्य सरकार के आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग की ओर से विशेष संरक्षित जनजातियों के लिए 47 अलग-अलग प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। इनमें उनकी सामाजिक सुरक्षा के साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रोत्साहन योजना, आर्थिक मदद और अन्य सहायता शामिल हैं। जनजातियों के संरक्षण के लिए आदिवासी नायकों के नाम पर विशेष पुरस्कार के साथ ही विशेष जनजातियों को वन अधिकार पत्र भी दिए जा रहे हैं।