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छत्‍तीसगढ़ में सत्ता की चाबी कहे जाने वाले आदिवासी बाहुल्य बस्तर में एक बार फिर पार्टियों ने ताकत झोंक दी है। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो भले ही बस्तर कांग्रेस का गढ़ बन चुका है।

HIGHLIGHTS

  1. बसपा और गोंडवाना गणतंत्र का गठबंधन लड़ेगा विधानसभा चुनाव
  2. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की जंग में गठजोड़ और त्रिकोणीय तड़का
  3. बस्तर संभाग में भाजपा का वोट शेयर पिछले चुनावों में घटा

छत्‍तीसगढ़ में सत्ता की चाबी कहे जाने वाले आदिवासी बाहुल्य बस्तर में एक बार फिर पार्टियों ने ताकत झोंक दी है। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो भले ही बस्तर कांग्रेस का गढ़ बन चुका है और यहां विधानसभा की 12 और लोकसभा की

बस्तर सीट कांग्रेस और कांकेर की सीट भाजपा के कब्जे में है मगर चुनावी मुकाबला यहां त्रिकोणीय हो सकता है। यहां कांग्रेस-भाजपा के अलावा बहुजन समाज पार्टी, सीपीआइ, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे), आम आदमी पार्टी और आदिवासी नेता अरविंद नेताम की हमर राज पार्टी भी चुनाव लड़ सकती है।

बतादें कि नेताम कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद नई पार्टी बनाई है। विधानसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने चुनावी गठबंधन किया है। इसके बाद प्रदेश की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी। गठबंधन के तहत बसपा 53 और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 37 सीट पर चुनाव लड़ेगी।

15 साल में 18 प्रतिशत घट गया वोट शेयर

चुनावी आंकड़ों के परिणामों की तस्दीक करें तो बस्तर संभाग में भाजपा का वोट शेयर पिछले चुनावों में घटा है। वर्ष 2003 में पार्टी 43 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 12 में से नौ सीटें जीती थीं। 2008 के चुनाव में भाजपा 11 सीटें जीतने में कामयाब रही, लेकिन 42 प्रतिशत ही वोट शेयर रहा। 2013 में करीब 41 प्रतिशत वोट के साथ पार्टी चार सीटें जीत पाई।

वहीं 2018 में पार्टी का वोट शेयर घटकर 35 प्रतिशत और सीट केवल एक रह गई। बाद में यहां दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा मंडावी की मौत के बाद यहां कांग्रेस की विधायक देवती कर्मा चुनाव जीती हैं। अभी बस्तर की सभी 12 विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास हैं।

बस्तर संभाग में सीटों की स्थिति

वर्ष कांग्रेस भाजपा

2003 03 09

2008 01 11

2013 08 04

2018 11 00

अब तक के चार चुनावों की स्थिति

भाजपा: 2003 में भाजपा नौ सीटों पर जीती थी। 2008 में पार्टी ने केवल पांच चेहरों को रिपीट किया था, सात नए चेहरे उतारे थे। पांचों पुराने समेत छह नए चेहरे चुनाव जीते थे। 2013 में नौ चेहरों को रिपीट किया और तीन नए चेहरे उतारे थे। 2018 के चुनाव में भाजपा ने एक ही नया चेहरा उतारा था। नए-पुराने चेहरे में केवल एक सीट पर भाजपा जीती थी।

कांग्रेस : 2003 में कांग्रेस केवल तीन सीट ही जीत पाई थी। 2008 में तीनों विधायक के साथ केवल एक हारे हुए प्रत्याशी को मैदान में उतारा था, बाकी आठ नए चेहरे थे। 2013 में पार्टी ने छह नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतारा था। इसी तरह 2018 में कांग्रेस ने बस्तर में दो नए चेहरे उतारा था। कवासी लखमा एकमात्र कोंटा क्षेत्र के विधायक हैं जो कि लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में इस तरह दलों की भागीदारी

चुनावी वर्ष दलों की संख्या

2003 28

2008 40

2013 45

2018 61

विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम

पार्टी कुल सीट प्रत्याशी जीते वोट मिले प्रतिशत

भाजपा 90 15 47,06,830 32.97

कांग्रेस 90 68 61,43,880 43.04

जेसीसीजे 57 05 10,86,514 7.61

बसपा 35 02 5,52,313 3.87

विधानसभा चुनाव 2013 के परिणाम

पार्टी कुल सीट प्रत्याशी जीते वोट मिले प्रतिशत

भाजपा 90 49 53,65,272 41.04

कांग्रेस 90 39 52,67,698 40.29

बसपा 90 01 5,58,424 4.27

निर्दलीय — 01 6,97,267 5.33

विधानसभा चुनाव 2008 के परिणाम

पार्टी प्रत्याशी कुल सीट जीते वोट मिले प्रतिशत

भाजपा 90 50 43,33,934 40.39

कांग्रेस 87 38 41,50,377 39.88

बसपा 90 02 6,56,210 6.11

सीपीआइ 21 00 1,20,184 1.12

विधानसभा चुनाव 2003 के आंकड़े

पार्टी प्रत्याशी कुल सीट जीते वोट मिले प्रतिशत

भाजपा 90 50 37,89,914 39.26

कांग्रेस 90 37 35,43,754 36.71

बसपा 54 02 4,29,334 4.45

एनसीपी 89 01 6,77,983 7.02

सीपीआइ 18 00 1,03,776 1.08

जीजीपी 41 00 1,54,446 1.60