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हसदेव कोल ब्लाक आवंटन को रद करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चिट्ठी के बाद भाजपा-कांग्रेस में फिर से बयानों के तीर चलने लगे हैं।

HIGHLIGHTS

  1. हसदेव कोल ब्लाक आवंटन को लेकर भाजपा-कांग्रेस फिर आमने-सामने
  2. विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कांग्रेस सरकार पर किया वार
  3. कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा को दिया जवाब

हसदेव कोल ब्लाक आवंटन को रद करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चिट्ठी के बाद भाजपा-कांग्रेस में फिर से बयानों के तीर चलने लगे हैं। एक दिन पहले भाजपा के प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी ने इस विषय पर राज्य सरकार को घेरा था। अब विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने भी कांग्रेस पर वार किया है।

इस विषय पर एक बयान जारी कर चंदेल ने कहा कि मुख्यमंत्री पहले तो जवाब दें कि वे राजस्थान की मांग पर जमीन दे रहे हैं या नहीं? कांग्रेस की नूरा कुश्ती एक बार फिर सामने आ गई है। मुख्यमंत्री एक तरफ तो राजस्थान के कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आग्रह पर कोल ब्लाक

खनन के लिए पेड़ काटने एनओसी देते हैं और कहते हैं कि बिजली चाहिए तो कोयला जरूरी है। विरोध करने वाले पहले अपने घर की बिजली बंद कर लें, फिर राजनीति करें। दूसरी तरफ वे केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि आवंटित कोल ब्लाक निरस्त किए जाएं। एनओसी किसने और क्यों दी, जनता जानती है।

वहीं, इस विषय पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्र लिखकर हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल खनन के लिए जमीन देने की मांग की है। यह इस बात का प्रमाण है कि भूपेश बघेल की सरकार हसदेव अरण्य में कोल खनन के खिलाफ है।

भूपेश सरकार ने 27 जुलाई 2022 को हसदेव अरण्य के पांच कोल ब्लाक आवंटन निरस्त करने विधानसभा में प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार को भेजा है, जो अब तक लंबित है। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल बताएं कि आखिर मोदी सरकार इन कोल ब्लाक के आवंटन को निरस्त क्यों नहीं कर रही है?

ठाकुर ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह के कार्यकाल में अदाणी को दंतेवाड़ा जिले की बैलाडीला खदान का 13 डिपाजिट सौंपा गया था। कोयला खदानों के अलावा अदाणी को लोहे की खदान भी दी गई थी। कोल कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए रमन सरकार ने स्टाम्प ड्यूटी में

3,000 करोड़ रुपये की छूट देकर राज्य के खजाने को चोट पहुंचा था। वर्तमान में मोदी सरकार ने एसइसीएल के अधीन 80 प्रतिशत खदानों को अदाणी को दे दिया गया। नगरनार संयंत्र को भी अदाणी को सौंपने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।