कचनार है चमत्कारी वृक्ष,सेहत बनेगी फिट
HighLights
- वानिकी विज्ञानियों ने बताए खास गुण
- महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक
- फूल और छाल से कई बीमारी ठीक होते है
कचनार के फूल और छाल से मधुमेह और डायरिया नियंत्रण करने वाली दवाइयां बनाई जा रही हैं। भरपूर मेडिशनल प्रापर्टीज के खुलासे के बाद अब इसकी मदद से सर्पदंश के बाद बचाव की दवा भी बनाई जा रही हैं।
कचनार, जिसे साल में केवल एक दिन याद किया जाता है। वह है, विजयादशमी का पर्व। इसकी पत्तियों को सोनपत्ती के रूप में एक दूसरे को भेंट किया जाता है। अब यह पहचान ऐसे क्षेत्र में फैलने जा रही है, जिसका महत्व सीधे-सीधे जीवन से जुड़ा हुआ है। इसके फूल और छाल में भी महत्वपूर्ण गुणों के खुलासे के बाद औषधि निर्माण इकाइयां खरीदी करने लगीं हैं। महिलाओं में होने वाली ज्यादातर बीमारियों का इलाज इससे संभव है। खासकर रक्त से जुड़ी समस्या।
यह औषधीय तत्व


कचनार के फूलों की तीन प्रजातियों में से लाल और सफेद फूल में भरपूर औषधीय तत्वों की जानकारी मिली है। एंटी डायबिटीज, एंटी मलेरियल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी कैंसर, एंटी फंगल ,लेसेक्टिव, लिवर टानिक और एंटीअल्सर जैसे तत्वों को कचनार के फूलों और छाल की प्रभावशीलता को बढ़ाने में सहायक माना गया है।
इनके लिए प्रभावी
फूलों से बनाई जा रही औषधियों से मधुमेह, खांसी ,कफ ,घाव, त्वचा रोग जैसी बीमारियां तो दूर की जा सकेगीं। इसके अलावा अल्सर और कैंसर जैसी घातक बीमारियों को नियंत्रण में रखा जा सकेगा। साथ ही इससे भूख बढ़ाने वाली औषधियां भी बनाई जा रही है।
जानिए कचनार को
फेबेसी परिवार के सदस्य कचनार के पेड़ों में तीन रंग के फूल खिलते हैं। सफेद, लाल और पीला। इनमें यही फूल, इस समय औषधि निर्माता इकाइयों की मांग में बने हुए हैं। तीनों प्रजातियों के गुण और फायदे बराबर हैं। इसका वैज्ञानिक नाम बौहिनिया वैरीगैटा है। आम बोलचाल की भाषा में इसे सोन पत्ती का पेड़ के नाम से जाना जाता है।
आयुर्वेद में कचनार को बेहद चमत्कारी और औषधीय गुणों से भरपूर वृक्ष माना गया है। इसकी कलियां, फूल और छाल से कई बीमारियों पर नियंत्रण के गुण मिले हैं।
अजीत विलियम्स, विज्ञानी (वानिकी),
बीटीसी कालेज आफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर