आयकर विभाग की नजर अब आम करदाताओं और बड़े-बड़े पूंजीपतियों के साथ ही एनजीओ (नान गौरमेंट आर्गेनाइजेशन) की होने वाली आय पर भी है।
HIGHLIGHTS
- दो पेज की आडिट रिपोर्ट अब 49 पेजों में भरी जाएगी
- संगठन को देनी होगी आय व्यय से संबंधित सारी जानकारी
आयकर विभाग की नजर अब आम करदाताओं और बड़े-बड़े पूंजीपतियों के साथ ही एनजीओ (नान गौरमेंट आर्गेनाइजेशन) की होने वाली आय पर भी है। बताया जा रहा है कि पहले जो एनजीओ व ट्रस्ट केवल दो पेज के आडिट
रिपोर्ट दाखिल करते हैं, उन्हें अब 49 पेज की आडिट रिपोर्ट भरनी होगी। इस आडिट रिपोर्ट में इन संगठनों को अपने आय व्यय से संबंधित सारी जानकारी देनी होगी। इसके चलते ही 30 सितंबर तक जमा होने वाली आडिट रिपोर्ट एनजीओ के लिए 31 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है।
आया नया फार्मेट
जानकारों के अनुसार अब एनजीओ व ट्रस्टों के लिए नया फार्मेट 10(बी), 10(बीबी) आया है,इसमें आयकर दान, गुप्त दान, संस्थाओं के खर्च व उनके द्वारा दिए जाने वाले दान के संबंध में पूरी जानकारी मांगी जा रही है। बताया जा रहा है कि
इन संस्थाओं के बीते कई वर्षों के रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं और खानापूर्ति में गलती होने पर संपत्ति के अनुपात में भारी टैक्स भी लगाया जा सकता है। कर विशेषज्ञ चेतन तारवानी ने बताया कि अब इन संस्थाओं द्वारा किसी भी प्रकार से चालाकी करना भारी पड़ने वाला है। आयकर नियमों का पालन करना उनके लिए जरूरी है।
डोनेशन का खेल भी नहीं चलेगा
आयकर के नए नियम के अनुसार शैक्षणिक, सामाजिक, धार्मिक आदि संस्थाओं के लिए जरूरी है कि वे अपनी आय क 85 फीसद हिस्सा सालभर में खर्च करें। संस्थाओं द्वारा 15 फीसद बचाया जा सकता है।
अब तक देखा जा रहा था कि इन संस्थाओं द्वारा 85 फीसद हिस्सा खर्च न होने पर दूसरे ट्रस्ट को दान देकर खानापूर्ति की जाती थी। लेकिन अब नए नियम के अनुसार संस्थाएं एक दूसरे को दान दे सकती है,लेकिन व दान भी केवल 85 फीसद ही माना जाएगा।
ऐसे समझें
अगर किसी संस्था की आमदनी 100 रुपये है तो उसे सालभर में 85 रुपये खर्च करने होते थे। लेकिन संस्था द्वारा 70-75 रुपये ही खर्च हो पाते थे। ऐसी स्थिति में संस्था डोनेशन देकर खानापूर्ति करते थे। अब नए नियमों के अनुसार ऐसी चालाकी करने पर टैक्स भरना होगा।