छत्तीसगढ़ में सात नवंबर को होने जा रहे पहले चरण के मतदान में इस बार भाजपा-कांग्रेस के बीच नक्सलवाद बनाम विकास के मुद्दे पर चुनावी मुकाबला है।
HIGHLIGHTS
- कांग्रेस ने बस्तर में विकास के दावों को आधार बनाते हुए चुनावी मैदान में उतरी
- पहले चरण में बस्तर की 12 और दुर्ग संभाग की आठ समेत 20 सीटों पर होगा मतदान
- 2018 में 2710 गांव नक्सलियों के प्रभाव में थे। अब 589 गांव नक्सल प्रभाव से आजाद
छत्तीसगढ़ में सात नवंबर को होने जा रहे पहले चरण के मतदान में इस बार भाजपा-कांग्रेस के बीच नक्सलवाद बनाम विकास के मुद्दे पर चुनावी मुकाबला है। पहले चरण में बस्तर की 12 और दुर्ग संभाग की आठ समेत 20 सीटों पर मतदान होना है। इन क्षेत्रों में नक्सली प्रभाव के कारण विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने भाजपा के 24 नेताओं को एक्स श्रेणी की सुरक्षा दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी बस्तर में अपनी सभाओं के दौरान भूपेश सरकार को घेर चुके हैं। शाह ने पिछली सभाओं में जोर दिया कि मोदी सरकार नक्सलवाद और आतंकवाद के विरूद्ध जीरो टालरेंस की नीति अपना रही है।
शाह स्पष्ट कर चुके हैं कि देश में वामपंथी उग्रवाद या नक्सलवाद सिर्फ छत्तीसगढ़ के तीन जिलों तक सिमट कर रह गया है। केंद्र सरकार ने वहां विकास पहुंचाया, वहां बिजली पहुंचाई। नक्सलग्रस्त इलाकों में लगातार सुरक्षाबलों के कैंप खोला।
एनआइए औऱ ईडी को भी नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जोड़ा। बस्तर बटालियन बनाई गई। एक जुलाई 2023 को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भूपेश सरकार पर आरोप लगाया था कि अगर कांग्रेस सरकार का सहयोग मिलता तो यहां भी नक्सलवाद खत्म हो जाता।
कांग्रेस का दावा- विकास से आ रही खुशहाली
इस बीच, कांग्रेस भी बस्तर में विकास के दावों को आधार बनाते हुए चुनाव मैदान में उतर आई है। भूपेश सरकार नक्सल प्रभाव के कारण बंद किए गए बस्तर में 363 स्कूलों को खुलवाने, उद्योग और कारोबार में वृद्धि, आपसी विश्वास और
सुरक्षा की कार्ययोजनाओं से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बदलाव का दावा कर रही है।\B \Bबस्तर की 12 विधानसभा सीटों में वर्तमान में सभी सीटों में कांग्रेस के विधायक हैं। जबकि बस्तर लोकसभा सीट में भी कांग्रेस सांसद हैं। इसलिए यह सीट भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।
पिछले पहले चरण के 18 सीटों के परिणाम
वर्ष भाजपा कांग्रेस
2003 14 04
2008 15 03
2013 06 12
2018 01 17
इस तरह सिमटा क्षेत्र
जानकारी के मुताबिक 2018 में जहां 994 ग्राम पंचायत के 2710 गांव नक्सलियों के प्रभाव में थे। अब 589 गांव को नक्सल प्रभाव से आजाद हो गए हैं। एंटी नक्सल आपरेशन विंग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में जहां 151पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हुई थी वह 2022 में घटकर 46 हो गई। इसी तरह मुठभेड़ में मारे जाने वाले नक्सली- 112 से घटकर 20, गिरफ्तार नक्सली 1136 से घटकर 191, आत्मसमर्पित नक्सली 464 से घटकर 288 तक घट गई है।
नक्सलवाद नहीं अब विकास की बात
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, कांग्रेस की सरकार आने के बाद छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की घटनाओं में 80 प्रतिशत कमी आई है। डा. रमन सिंह की भाजपा सरकार में यह पूरे प्रदेश में फैल गया।
इनके कार्यकाल में झीरम जैसी घटना में कांग्रेस के नेता मारे गए। अब बस्तर में विकास, विश्वास और सुरक्षा के मूल मंत्र में काम हो रहा है। बस्तर में आर्थिक खुशहाली व बहाली है और विकास का मुद्दा लेकर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी।
नक्सली मामले में सरकार विफल
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा, कांग्रेस की भूपेश सरकार ने बस्तर को पूरी तरह से उपेक्षित रखा। यहां विकास का कोई काम नहीं किया। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति बदहाल है। चाहे नक्सलवाद का मामला हो चाहे मतांतरण का मामला हो, ये सरकार विफल रही है। भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या हुई।