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Railway News Bilaspur: एक्सप्रेस ट्रेनों की लेटलतीफी लोकल में बढ़ा दबाव, पार्सल बोगी में करनी पड़ रही यात्रा

Railway News: एक समय था, जब ट्रेन समय पर चलाने के लिए रेलवे की वाहवाही होती थी

बिलासपुर। ट्रेनों की स्थिति इन दिनों कुछ ठीक नहीं है। सालभर से एक्सप्रेस ट्रेनें निर्धारित समय से घंटों विलंब चल रही है। जब स्टेशन पहुंचती है तो इतनी भीड़ रहती है कि स्लीपर तो दूर जनरल कोच तक बैठने की जगह नहीं रहती।

इसके चलते कुछ एक्सप्रेस ट्रेनों की पार्सल बोगी में यात्री सफर कर रहे हैं। इसके अलावा लेटलतीफी के कारण लोकल, पैसेंजर व मेमू ट्रेनों में पैर तक रखने की जगह नहीं है। क्षमता से अधिक भीड़ की वजह से यात्रियों के बीच आए दिन विवाद भी हो रहा है।

एक समय था, जब ट्रेन समय पर चलाने के लिए रेलवे की वाहवाही होती थी। अब स्थिति बिल्कुल विपरित है। अब यात्रियों को यह इंतजार है कि ट्रेनें कब समय पर चलेंगी। खासकर उत्कल एक्सप्रेस, आजाद हिंद एक्सप्रेस, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, गोंडवाना एक्सप्रेस, मेल, जम्मूतवी एक्सप्रेस , ज्ञानेश्वरी सुपरडीलक्स, हमसफर एक्सप्रेस जैसी लंबी दूरी की ट्रेनें।

जिनमें सालभर यात्रियों की भीड़ रहती है। स्लीपर व एसी कोच के साथ- साथ जनरल कोच में तो पैर तक रखने की जगह नहीं रहती। ये ट्रेनें 10 से 15 घंटे देरी से चल रही है। गुरूवार को भी स्थिति कुछ इसी तरह रही। बुधवार को तो रक्सौल- सिकंदराबाद एक्सप्रेस का नजारा चौकाने वाला था।

इस ट्रेन की जनरल बोगी यात्री ठूंस- ठूंसकर बैठे थे। जिन यात्रियों को जगह नहीं मिली, वह स्लीपर में और बड़ी संख्या में यात्री इस ट्रेन की जनरल बोगी में बैठकर यात्रा करते नजर आए। इन यात्रियों का कहना था कि स्लीपर बोगी में यात्रा करने पर जुर्माना लगता है। उनके पास जनरल बोगी का टिकट है। जुर्माना से बचने के लिए वह पार्सल बोगी में सवार हो गए।

यहां रेलवे की जांच टीम नहीं पहुंचती। वहीं दूसरी तरह रायपुर, कोरबा, कटनी व शहडोल जाने वाली ट्रेनों के अधिकांश कोच में भीड़ थी। वजह इस रूट की एक्सप्रेस ट्रेनों की लेटलतीफी थी। इस ट्रेन के अंदर यात्रियों की इतनी भीड़ थी कि यात्री फर्श पर बैठकर यात्रा करने के लिए विवश नजर आए। ट्रेन में सवार यात्री पसीने से तरबतर नजर आए।

जम्मूतवी एक्सप्रेस की स्थिति नहीं सुधरी

सबसे बदत्तर स्थिति दुर्ग से जम्मूतवी व उधमपुर जाने वाली ट्रेन की रहती है। इस ट्रेन में छत्तीसगढ़ के श्रमिक बड़ी संख्या में दूसरे राज्य काम करने के लिए जाते हैं। मंगलवार व बुधवार को चलने वाली इस ट्रेन के एसी कोच को छोड़कर स्लीपर व जनरल में बैठने की जगह नहीं रहती। इसके बाद उसलापुर रेलवे स्टेशन में टीटीई रसीद काटकर स्लीपर पर बैठने की अनुमति दे देते हैं। इस अव्यवस्था को सुधारने के लिए रेल प्रशासन कभी भी ध्यान नहीं देता।