राजधानी रायपुर में रुक रुककर हो रही बारिश से बढ़ा डेंगू का खतरा, रोज 1 से 2 मरीज डेंगू के लक्षण वाले…

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जुलाई में बारिश का सीजन शुरू होते ही डेंगू के मरीज मिलने लगे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार जुलाई से सितंबर तक डेंगू फैलाने वाले एडीस मच्छर के लिए अनुकूल रहता है। रुक-रुककर हो रही बारिश से मच्छर के लार्वा पनपते हैं, जो डेंगू फैलाने के लिए जिम्मेदार है। जुलाई में ही अंबेडकर समेत निजी अस्पतालों में डेंगू के 12 से ज्यादा मरीजों का इलाज हो चुका है। राहत की बात ये है कि अभी तक डेंगू से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है।

डेंगू के फैलाव काे रोकने के लिए नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने घरों में मिलने वाले लार्वा की जांच ही शुरू नहीं की है। इसके कारण भी घरों में रखे कूलर व छतों पर पुराने टायर, नारियल खटोली, पुराने डिब्बों में लार्वा पनपने लगे हैं। यही लार्वा कुछ दिनों में मच्छर बनकर लोगों को काटते हैं और लोग बीमार हो जाते हैं। अंबेडकर अस्पताल की ओपीडी में रोज 1 से 2 मरीज डेंगू के लक्षण वाले आ रहे हैं। कुछ रिफरल मरीजों को भर्ती भी किया जा रहा है।

अच्छी बात ये है कि डेंगू के गंभीर मरीज अभी तक नहीं आ रहे हैं। केवल माइल्ड लक्षण वाले मरीज आ रहे हैं, जिन्हें बुखार के साथ बदन दर्द होता है। ऐसे लोग 3 से 4 दिनों के इलाज में ठीक होकर घर भी जाने लगे हैं। मरीजों को प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत नहीं के बराबर है। यही कारण है कि वे जल्द स्वस्थ भी हो रहे हैं।

निगम अफसर अब कह रहे- घर-घर जाएंगे

डेंगू के संबंध में जानकारी लेने पर निगम अफसरों ने कहा कि हर जोन में पांच लोगों की एक टीम गठित करेगा। यह टीम रोज जोन के अलग-अलग इलाकों में जाकर जांच करेगी। घर-घर दस्तक देगी और वहां कूलरों की जांच करेगी। कूलर में पानी जमा होने पर उसे खाली करवाया जाएगा। छत में पड़ा पुराने टायर, टूटे मटके या अन्य कोई ऐसी चीज जिसमें पानी का ठहराव हो सकता है, उसे हटवाएगी। लोगों के डेंगू के मच्छर पनपने के कारण और उसकी भयावहता बताई जाएगी। उन्हें बचाव और सुरक्षा के तरीके भी बताए जाएंगे।

प्लेटलेट 40 हजार के नीचे तो अस्पताल जाएं

मरीज का प्लेटलेट अगर 40 हजार से कम है तो उसे प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। सीनियर मेडिकल कंसल्टेंट डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा व एक निजी अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. युसूफ मेमन के अनुसार जो डेंगू के मरीज आ रहे हैं, वे माइल्ड लक्षण वाले हैं। शरीर में लाल चकत्ते हों तो प्लेटलेट की जांच जरूर करवाएं।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में 26 मरीज

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में जनवरी से अब तक 26 मरीज डेंगू के मिले हैं। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. विमल राय के अनुसार अभी एपेडेमिक जैसी स्थिति नहीं है। घरों में लार्वा की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। इक्के-दुक्के मरीज ही आ रहे हैं। अंबेडकर ही नहीं निजी अस्पतालों में भी रोज डेंगू के मरीज पहुंच रहे हैं।

न फैले, इसलिए की जाएगी कार्रवाई
नगर निगम हर जोन में पांच लोगों की एक अन्य टीम बनाएगा। यह टीम हर दिन जोन के एक वार्ड में घूमकर वहां नालियों में एंटी लार्वा का छिड़काव करेगी। नालियां साफ नहीं होने के कारण उसमें पानी ठहरा हुआ रहता है और ठहरे हुए पानी में ही डेंगू के मच्छर पनपते हैं। इसलिए छिड़काव से पहले नालियां साफ की जाएंगी।

गंबूजिया छोड़ी जाएंगी। इसके अलावा फागिंग भी की जाएगी। जोन के हर वार्ड में इस तरह का शेड्यूल बनाया जाएगा कि किसी एक वार्ड में सप्ताह में दो बार इस तरह का छिड़काव हो। इस अभियान में नगर निगम स्वास्थ्य विभाग की भी मदद लेगा। निगम के साथ उनकी भी टीम वार्डों का दौरा करेगी।

डेंगू के लक्षण तो ये करें

  • तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे व मांसपेशियों में दर्द होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
  • पेन किलर दवा जैसे पैरासिटामॉल, ब्रूफेन व एंटीबायोटिक दवा अपनी मर्जी से न लें।
  • पानी, नारियल पानी, शिकंजी व तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें।
  • मरीज को दिन में मच्छरदानी में रहना चाहिए।
  • पूरी बांह की शर्ट और फुलपेंट पहनें।

आमजन ये करें तो होगा फायदा

  • घर के आसपास कहीं भी पानी का जमाव न हों। हो तो केरोसिन या जले आइल का छिड़काव करें।
  • पुराने टायर, प्लास्टिक के कप, बोतल, खटोली में पानी जमा होने न दें।
  • कूलर का पानी निकाल दें।
  • पानी टंकी ढंककर रखें।
  • कूलर, ड्रग, गमले को पानी को हर सप्ताह खाली करें।

डेंगू और पीलिया की आशंका को देखते हुए निगम पहले से तैयारी कर रहा है। एक-दो दिन में सभी जोन के अफसरों की बैठक बुलाकर हर जोन के लिए एक टीम बनाई जाएगी।
एजाज ढेबर, महापौर रायपुर

बारिश के समय में डेंगू और पीलिया दोनों का खतरा रहता है।एक्शन टीम के जरिए दोनों बीमारियों से लड़ने में लोगों को जागरूक करने और आवश्यक दवाइयां इत्यादि उपलब्ध कराने का अभियान शुरू किया जाएगा।
नागभूषण राव, अध्यक्ष स्वास्थ्य वि.