

गोलबाजार में दुकानों के मालिकाना हक को लेकर कानूनी अड़चनें दूर होने के बाद मेन रोड और भीतर के कारोबारी दो फाड़ हो गए हैं। मेन रोड के कारोबारी दुकानों की रजिस्ट्री कराने को तैयार हैं। उनका कहना है कि गाइड लाइन रेट को लेकर उन्हें किसी तरह की आपत्ति नहीं है, जबकि भीतर के काराेबारी रेट कम करवाने की जिद पर अड़े हैं।
मेन रोड की दुकानों का गाइड लाइन रेट 1 लाख प्रतिवर्ग मीटर जबकि भीतर का 90 हजार तक तय किया गया है। नगर निगम ने रजिस्ट्री के लिए 172 कारोबरियों की पहली सूची जारी की है, उसमें लगभग 100 कारोबारियो की दुकानें मेन रोड में हैं। वे जल्द से जल्द पैसा जमा कर रजिस्ट्री कराने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि भीतर के कारोबारी अभी भी गाइडलाइन रेट में संशोधन की मांग कर रहे हैं।
गोलबाजार में 579 दुकानें हैं। इनमें से लगभग 480 दुकानें मेन रोड से पीछे की हैं। ये दुकानें मेन रोड से 20 मीटर के भीतर और 20 मीटर के बाद की हैं। इस हिस्से में जिनकी दुकानें हैं वही कारोबारी गाइडलाइन रेट में संशोधन की मांग ये कर रहे हैं। उनका कहना है कि मेन रोड से 20 मीटर भीतर होने के बावजूद न उन्हें न तो मेन रोड जैसी सुविधाएं मिल रही है और न ग्राहकों के लिए पर्याप्त एप्रोच रोड व सुविधा है। मेन रोड की तरह ग्राहक भी नहीं आते यानी उनका कारोबार भी उतना नहीं है। फिर भी उनके लिए मेन रोड जैसा ही गाइड लाइन रेट लिया जा रहा है।
इसी तरह मेन रोड से 20 मीटर के बाद की दुकानों के कारोबारियों का भी यही दुख है। उनका कहना है कि संकरी गली की एक लाइन की दुकान का रेट एक लाख रुपए वर्गमीटर है तो दूसरी का 80 हजार। दोनों ही दुकानों के लिए परिस्थिति एक जैसी, फिर रेट में इतना अंतर क्यों? कारोबारियों की इन मांगों को लेकर एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया था।
इसमें मेन रोड की दुकानों के गाइडलाइन रेट में किसी तरह का संशोधन नहीं किया गया। वहां किसी तरह की दिक्कत ही नहीं है और वे प्रशासन की ओर से तय गाइड लाइन रेट से संतुष्ट भी हैं। इधर, प्रशासन ने जिन दुकानों के गाइडलाइन रेट को कम करने का प्रस्ताव भेजा था, उनकी कीमतें तो कम नहीं हुईं उल्टे इन्हीं में से कुछ की कीमत और बढ़ गई है।
इसी को लेकर व्यापारी फिर से संशोधन की मांग कर रहे हैं। कारोबारियों का एक प्रतिनिधि मंडल कुछ दिनों पहले इस मांग को लेकर मेयर एजाज ढेबर से मिलने पहुंचे था। मेयर ने कारोबारियों को स्पष्ट कर दिया है कि गाइडलाइन रेट में कोई भी संशोधन या निर्णय शासन ही कर सकता है।
निगम के किरायेदार हैं काराेबारी
गाेलबाजार के काराेबारी अभी निगम के किरायेदार हैं। करीब साै साल पुराने बाजार में काराेबारियाें की दूसरी-तीसरी पीढ़ी कारोबार कर रही है। इनमें ज्यादातर कारोबारियों का किराया 1000 रुपए से भी कम है। शहर के सबसे प्राइम लोकेशन की प्रापर्टी होने के बावजूद यहां से निगम को ज्यादा राजस्व नहीं मिल रहा है। राजस्व बढ़ाने के लिए ही निगम ने कारोबारियों को मालिकाना हक देने का निर्णय लिया है। इससे कारोबारियों को एक ओर जहां बरसों बाद दुकानों का मालिकाना हक मिलेगा वहीं दूसरी ओर रजिस्ट्री के जरिये निगम और प्रशासन को राजस्व।
चारों मेन रोड के कारोबारियों को गाइडलाइन रेट से कोई दिक्कत नहीं
गोलबाजार एक चौरस मार्केट है। मालवीय रोड पर चिकनी मंदिर के सामने वाली रोड से शुरू होकर पेटी लाइन तक का हिस्सा इसी के दायरे में आता है। पेटी लाइन से बंजारी चौक और वहां से गोलबाजार थाने तक का हिस्सा गोलबाजार के दायरे में है। गोलबाजार थाने से फिर चिकनी मंदिर के सामने वाली रोड वाली दुकानें इसी के हिस्से में हैं।
इन चारों मेन रोड के कारोबारियों को गाइडलाइन रेट से कोई दिक्कत नहीं है। हकीमुद्दीन (पप्पू भाई) प्रवीण ठक्कर, पन्ना शर्मा, अख्तर कपासी, सुनील आहूजा, अरविंद अग्रवाल, आशा वॉच, धीरेंद्र राइचुरा आदि व्यापारियों ने रजिस्ट्री कराने के लिए नगर निगम को अपनी सहमति दी है और उन्होंने शुल्क जमा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इनमें कुछ कारोबारियों की दुकानें तो भीतर हैं। उनका कहना है हमारे रजिस्ट्री कराने के बाद बाकी कारोबारी भी जल्द से जल्द शुल्क जमा कर दुकानों का मालिकाना हक लेना चाहते हैं।
172 कारोबारियों का चयन ऐसे
प्रशासन और निगम ने रजिस्ट्री के लिए 172 ऐसे कारोबारियों का चयन किया है, जिनकी दुकानों को लेकर किसी तरह का कोई विवाद नहीं है। यानी न तो उसमें कई दावेदार है और न ही रजिस्ट्री के लिए किसी तरह की आपत्ति की गई है। बाकी जिन दुकानों को लेकर विवाद है, फिलहाल उनके प्रकरण का निपटारा करने का प्रयास किया जा रहा है। अफसरों का कहना है कि जैसे जैसे विवाद दूर होते जाएंगे, दुकानों की रजिस्ट्री की प्रक्रिया की जाती रहेगी।
“शासन से रिवाइज रेट आ चुका है। निगम स्तर पर कुछ भी नहीं हो सकता। जो भी निर्णय होगा वह शासन से ही होगा। हमने कारोबारियों से पहले ही कहा है कि जिन्हें किसी भी तरह की आपत्ति नहीं है वे जल्द से जल्द रजिस्ट्री कराएं। अच्छा है कि कारोबारी रजिस्ट्री के लिए तैयार हैं।” – एजाज ढेबर, महापौर, रायपुर
Source : दैनिक भास्कर

