

सिटी न्यूज़ रायपुर। रायपुर। भाजपा से आए वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय को कांग्रेस, बस्तर से लेकर सरगुजा तक के आदिवासी मतदाताओं को साधने के मोर्चे पर उतारेगी। बस्तर में मतांतरण के मुद्दे को लेकर भाजपा आक्रामक है। अपने 40 साल के राजनीतिक जीवन में नंदकुमार साय ने मतांतरण के खिलाफ जोरदार तरीके से आवाज उठाई है। कांग्रेस में प्रवेश करने के अगले दिन ने साय ने मतांतरण पर तीखा प्रहार किया। मीडिया से चर्चा में साय ने कहा कि जो अपने धर्म से विचलित हो गए हो, उसे डिलिस्टिंग किया जाए।
दरसअल, प्रदेश में आदिवासी समाज डिलिस्टिंग का मुद्दा उठाकर राज्य सरकार पर दबाव बना रहा है। समाज के नेताओं का कहना है कि जिन आदिवासियों ने अपना धर्म छोड़ दिया है, उनका आरक्षण समाप्त किया जाए। उनको सरकारी नौकरी में मिल रहे लाभ से वंचित किया जाए। कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इसके साथ ही आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस सरकार के काम को पहुंचाने का जिम्मा भी नंदकुमार साय को सौंपा जाएगा। प्रदेश की 29 विधानसभा सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इसमें से वर्तमान में 27 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं।
साय ने कहा कि राज्य सरकार बेहतर काम कर रही है। भगवान श्रीराम से जुड़े रामवनगमन पथ का निर्माण किया जा रहा है। आदिवासी क्षेत्रों में देवगुड़ी के लिए सरकार राशि दे रही है। आदिवासी क्षेत्रों में विकास, शिक्षा स्तर में बदलाव को लेकर काम कर रही है। इन सब मुद्दे से जनता का कांग्रेस पर भरोसा है। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीते, ये हमारी कोशिश रहेगी, बाकी फैसला जनता करेगी।
बता दे कि भाजपा के आदिवासी नेता नंदकुमार साय के कांग्रेस प्रवेश की पटकथा तीन महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की साय से राजधानी में गोपनीय मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात में बस्तर के एक आदिवासी सांसद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीएम बघेल से मुलाकात से पहले साय ने दिल्ली में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की थी।
सूत्र बताते हैं कि इस मुलाकात में साय ने प्रदेश की राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी दी थी। साथ ही अपने साथ हो रहे षड़यंत्र के बारे में भी बताया था। उस समय साय काे प्रदेश प्रभारी ओम माथुर से मिलकर अपनी बात रखने की सलाह दी गई। साय जब छत्तीसगढ़ पहुंचे तो उनकी बात को न ओम माथुर सुनने को तैयार थे, न ही प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव। इसके बाद ही साय ने भाजपा को छोड़ने का फैसला किया।

