रायपुर : राशन दुकानों के बाहर दलाल सक्रिय, 16 से 20 रुपये में खरीद रहे सरकारी चावल

26
Lotus dental clinic Birgaon

सिटी न्यूज़ रायपुर। रायपुर शहर की सरकारी राशन दुकानों में चावल की हेराफेरी थमने का नाम ही नहीं ले रही है। हालात ऐसे हैं कि शहर की 80 प्रतिशत से ज्यादा सरकारी राशन दुकानों के सामने चावल दलाल सक्रिय हैं, जो कि यहां आने वाले हितग्राहियों से चावल खरीदते हैं और इसे राइस मिलर्स को बेचते हैं। कुछ राशन दुकानों के सेल्समैन ही इसका राशन खरीद रहे हैं, जबकि ज्यादातर जगहों पर वहीं, कुछ महीनों पहले ही शासन की ओर से आदेश जारी कर सरकारी चावल की अवैध खरीदी-बिक्री पर दंडात्मक कार्रवाई के आदेश जारी किए थे, लेकिन इसके बावजूद अब तक एक भी दलाल जिला प्रशासन की पकड़ में नहीं आए हैं।

वहीं, राजधानी की 130 राशन दुकानों में कार्डधारियों से सरकारी चावल 15 से 16 रुपये में खरीदकर इसे राइस मिलों को सप्लाई कर रहे हैं। विभाग की जांच के दायरे में कुछ राशन दुकान संचालक भी हैं। दुकान संचालक भी खुद ही दुकानों में कार्डधारियों को चावल के बदले पैसे दे रहे हैं। बीते दिनों पंडरी, टिकरापरा और भनपुरी की कुछ राशन दुकानों के सेल्स मैन द्वारा चावल खरीदने की शिकायत भी कलेक्टर तक पहुंची है। अब इस पर खाद्य विभाग के साथ पुलिस संयुक्त रूप से टीम कार्रवाई करेगी। कलेक्टर ने इस संबंध में जल्द ही आदेश जारी करने का दावा किया है।

शहर की सभी प्रमुख यानी कि बड़ी सरकारी राशन दुकानों के सामने राइस मिलर्स के दलालों का डेरा जमा हुआ है। करीब 80 प्रतिशत दुकानों के सामने दलाल मौजूद होते हैं, जो पीडीएस से उपभोक्ताओं को फ्री मिलने वाला चावल 16-20 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीदते हैं और उसे करीब 35 रुपये प्रति किलो की दर पर मिलरों को बेच देते हैं। फिर यही चावल मिलिंग कर 60 रुपये में बेचा जाता है

गुढ़ियारी व नहरपारा इलाके में दलालों में चावल का बड़ा खेल खेला जा रहा है। लाखेनगर चौक से महमूद नाम के दलाल द्वारा आमासिवनी और संकरी के राइस मिलों में चावल पहुंचाया जा रहा है। रामसागरपारा में बम्लेश्वरी मंदिर के पास मुन्ना खांडवाल व उस्मान के द्वारा चावल की तस्करी करने की लिखित शिकायत कलेक्टर तक पहुंची है।

शlसन द्वारा सरकारी राशन की खरीद फरोख्त को बंद करने के लिए कड़े नियम बनाए हैं। जिसके तहत अगर बिचौलिया या फिर कोई भी दुकानदार राशनकार्ड धारकों की सामग्री खरीदता है, तो उसके खिलाफ छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2016 व आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 के तहत कार्रवाई करने का नियम है। जिसमें अधिकतम सात साल तक की सजा का प्रविधान भी किया गया है।