रायपुर : आप भी कर सकते हैं मिलेट्स से बनी चीजों के स्टार्टअप की शुरूआत, चिप्स-कुकीज बनाने के साथ करें एक्सपोर्ट का काम

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रायपुर। बदलते दौर में मिलेट्स यानी मोटे अनाज से बनाए जाने वाले खाद्य पदार्थों का चलन बढ़ा है। इससे होने वाले लाभ को समझते हुए लोग इसे तेजी से अपना रहे हैं। अच्छी सेहत के लिए इसे भोजन में शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है। इसे देखते हुए ही मिलेट्स से जुड़े स्टार्टअप शुरू करने व भविष्य में मिलेट्स के व्यापार की संभावनाओं को लेकर वीआइपी रोड स्थित मैग्नेटो माल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें मिलेट्स में स्टार्टअप क्यों करें, कैसे करें, मिलेट्स की उपयोगिता, लाभ व इससे जुड़े उद्योग कैसे शुरू करें, विषय पर विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गई।

कृषि विज्ञान केंद्र की फार्म मैनेजर कमला मिश्रा ने बताया कि राज्य के 14 जिलों में मिलेट मिशन चलाया जा रहा है। अन्य फसलों के बदले मिलेट उत्पाद को उगाना आसान होता है। मिलेट्स की पौष्टिकता और उसके फायदों को देखते हुए फिर से उसका महत्व लोगों तक पहुंचाने की कोशिश सरकारों द्वारा की जा रही है। 

सामान्यत: मोटे अनाज वाली फसलों जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मिलेट क्राप कहा जाता है। मिलेट्स को सुपर फूड भी माना जाता है, क्योंकि इनमें पोषक तत्व अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होते हैं। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के नथिया-नवागांव में मिलेट्स का सबसे बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट भी स्थापित किया जा चुका है, जो कि एशिया की सबसे बड़ी मिलेट्स प्रसंस्करण इकाई है।

बिजनेस एडवाइसर अभिनव खंडेलवाल ने बताया कि मिलेट को लेकर बिजनेस करने की अपार संभवनाएं हैं। मिलेट में रागी का चीला, डोसा, मिलेट्स पराठा, इडली, मिलेट्स मंचूरियन, पिज्जा, कोदो की बिरयानी और कुकीज जैसे पौष्टिक व्यंजन परोसे जा रहे हैं। प्रदेश में आंगनबाड़ी और मिड-डे मील में भी मिलेट्स को शामिल किया गया है। स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील में मिलेट्स से बनने वाले व्यंजन परोसे जा रहे हैं। इनमें मिलेट्स से बनी कुकीज, लड्डू और सोया चिक्की जैसे व्यंजनों को शामिल किया गया है। मांग को देखते हुए कोदो, कुटकी और रागी (मिलेट्स) की खेती को लेकर किसानों का रुझान बहुत तेजी से बढ़ा है। विदेशों में मिलेट की मांग बढ़ गई है।