

सिटी न्यूज़ रायपुर। रायपुर। अगले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा धान खरीदी के मामले में कोई बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। छह दिवसीय प्रवास पर रायपुर पहुंचे छत्तीसगढ़ भाजपा प्रभारी ओम माथुर ने पत्रकारों से बातचीत में कुछ ऐसा ही संकेत दिए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से 2,800 रुपये में धान खरीदी को लेकर की जा रही तैयारी के प्रश्न पर माथुर ने कहा कि इंतजार करिए। कांग्रेस क्या कर रही है और हम क्या करेंगे। यह आपको समझ में आएगा। माथुर ने कहा कि पिछली बार भी कहे थे इस बार भी कह रहे हैं, इंतजार करिए।
बता दें कि छत्तीसगढ़ की सियासत में धान एक ऐसा मुद्दा है जिससे सरकारें बनती और बिगड़ती है। भाजपा के शासनकाल में 15 वर्ष तक सियासत चावल के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह तो चाउर वाले बाबा के नाम से मशहूर रहे हैं मगर पिछली बार चुनाव में कांग्रेस ने धान का समर्थन मूल्य 2,500 रुपये करने का वादा कर विधानसभा चुनाव जीता था। अभी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा दांव खेलते हुए प्रति एकड़ 15 की जगह 20 क्विंटल धान खरीदने की घोषणा कर दिया है। साथ ही धान के समर्थन मूल्य में भी 2,800 रुपये तक होने की उम्मीद है।
माथुर ने कहा कि यह विशुद्ध रूप से संगठनात्मक दौरा है। हम विधानसभा स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ दुर्ग और बस्तर संभाग का दौरा कर प्रमुख नेताओं से बात करेंगे। हर विधानसभा में नेताओं को जो जिम्मेदारी सौंपी थी, उसकी रिव्यू मीटिंग भी है। दिल्ली में पिछले तीन माह से प्रदर्शन कर रहे रेसलर्स की मांग को लेकर केंद्र की ओर से कोई कार्रवाई ना होने को लेकर ओम माथुर ने कहा कि निश्चित तौर पर उनसे बात हुई है, मंत्री से भी बात हुई है, कुछ ना कुछ हल जरूर निकलेगा।
प्रदेश के 24 हजार बूथों पर नियुक्त विस्तारकों को माथुर 25 अप्रैल को प्रशिक्षण में मार्गदर्शन देंगे। दोपहर 12 बजे दुर्ग में शहर विधानसभा की बैठक लेंगे। शाम को दुर्ग संभागीय बैठक में मार्गदर्शन देंगे। इसके बाद कांकेर रवाना होंगे। उनका दौरा 30 अप्रैल तक चलेगा।
भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के बस्तर दौरा पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि माथुर को बस्तर दौरा करने से पहले भाजपा संगठन के भीतर जो आदिवासी नेताओं की उपेक्षा हो रही है उन्हें सम्मान दिलाने प्रयास करना चाहिए। आदिवासी नेता नंदकुमार साय, ननकीराम कंवर सहित कई आदिवासी नेताओ ने भाजपा संगठन के भीतर आदिवासियों की उपेक्षा होने का आरोप लगा चुके हैं।

