बड़ी खबर : ओडिशा के दावे पर छत्तीसगढ़ सरकार ने की आपत्ति, दौरे पर है तीन सदस्यीय कमेटी

32
Lotus dental clinic Birgaon

सिटी न्यूज़ रायपुर। रायपुर। महानदी विवाद को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने ओडिशा सरकार के उस दावे पर आपत्ति दर्ज कराई है, जिसमें कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में पानी का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। महानदी विवाद के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी तीन सदस्यीय कमेटी दौरे पर है। इस बीच, ओडिशा के जल संसाधन विभाग के इंजीनियर इन चीफ के हवाले से एक खबर प्रकाशित की गई। इसे राज्य सरकार ने दोनों राज्यों की ओर से जारी प्रोटोकाल के विरूद्ध बताया है।

राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ ने अन्य वर्षाे की तुलना में इस वर्ष उद्योगों, निस्तारी तथा फसलों के लिए सामान्य रूप से ही पानी छोड़ा है। ओडिशा स्थित हीराकुंड जलाशय की जलग्रहण क्षमता महानदी बेसिन के सभी जलाशयों की जलग्रहण क्षमता से अधिक है। इसलिए पानी की कमी के संबंध में आरोप लगाने का ओडिशा का कोई आधार ही नहीं है। ओडिशा का महानदी बेसिन का दोहनकारी जल संसाधन प्रबंधन है, जबकि छत्तीसगढ़ स्वयं के द्वारा संरक्षित जल संसाधन के प्रबंधन से लाभान्वित होता है। छत्तीसगढ़ में जल की हर एक बूंद को संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है।

छत्तीसगढ़ ने न केवल अपने इनस्ट्रीम चेकडैम और बैराज के माध्यम से वर्षा जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया है, बल्कि मानसून रनआफ को जल के स्तर पर रिचार्ज करने के लिए नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी (एनजीजीबी) कार्यक्रम चलाया है। इसके माध्यम से बड़े पैमाने पर जल संरक्षण एवं भू-जल स्तर में वृद्धि के उद्देश्य से परियोजना शुरू की है। छत्तीसगढ़ के जल संरक्षण उपायों से ओडिशा को बहुत लाभ हुआ है, क्योंकि भू-जल को महानदी एवं उसकी सहायक नदियों में छोड़ा जाता है, जो अंततः ओडिशा तक ही पहुंचता है।

राज्य सरकार ने कहा कि इस वर्ष 25 अप्रैल 2023 को सेटेलाईट द्वारा ली गई तस्वीर और पिछले तीन वर्ष में इसी दिन ली गई सेटेलाईट तस्वीर में हीराकुंड जलाशय में महानदी के प्रवाह व्यवस्था एवं उसके जलाशय के ऊपरी स्तर में लगभग कोई अंतर दिखाई नहीं दिया है। ओडिशा अभियंत्रिकी विभाग द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति दुर्भाग्यपूर्ण और पूर्वाग्रह से ग्रसित है। यह विज्ञप्ति मुख्य अभियंता जैसे उच्चतम अधिकारी के कार्यालय से जारी की गई थी, जबकि यह प्रकरण न्यायालय के अधीन है। यह छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्य के बीच महानदी जल विवाद समझौते संबंधी प्रोटोकाल का उल्लंघन है।