

रायपुर। अनियंत्रित शुगर की वजह से रोगियों की नजर खराब होने की शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। यह स्थिति कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पिछले तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ में 21,790 डायबिटिक रेटिनोपैथी के मामले सामने आए हैं। यह आंकड़े 10 मेडिकल कालेजों व 28 जिला अस्पताल के नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में 12 लाख से अधिक आंख के मरीजों की जांच में मिले हैं। रेटिनोपैथी की वजह से कमजोर होती नजर इसलिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि एक बार आंखों की रोशनी चली गई तो वापस आने की संभावना न के बराबर रहती है।
इस समस्या को देखते हुए शासन ने डायबिटिक रेटिनोपैथी के मरीजों के लिए जरूरी एनटीवीईजीएफ (एंटी वैस्कुलर एंडोथेलियम ग्रोथ फैक्टर) इंजेक्शन को लगाने की अनुमति दी है। इसके एक इंजेक्शन की कीमत बाजार में 15,000 रुपये तक है। मरीजों को ऐसे तीन इंजेक्शन लगाए जाते हैं, जो शासन की चलाई जा रही योजना के तहत मरीजों को निश्शुल्क लगाई जाती है। डायबिटिक रेटिनोपैथी की रोकथाम और जागरूकता को लेकर शासन कार्यक्रम भी चला रहा है। बावजूद इसके राज्य के सभी शासकीय अस्पतालों में पर्याप्त स्क्रीनिंग नहीं हो रही है। एनटीवीईजीएफ इंजेक्शन भी उपलब्ध नहीं है।
वर्ष-2024 तक बढ़ सकते हैं केस
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्ष-2021-22 में 9,215 डायबिटिक रेटिनोपैथी केस मिले। वहीं 2022-23 में 6,924 केस दर्ज किए गए। इसका मतलब यह नहीं है कि केस कम हुए हैं। अस्पतालों में मरीजों की डायबिटिक रेटिनोपैथी को लेकर स्क्रीनिंग कमजोर पड़ी है। अनियंत्रित शुगर व आंख की समस्या के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं। वर्ष-2024 तक इन आंकड़ों में वृद्धि हो सकती है। इसके लिए मरीजाें की जांच व इलाज और डाटा संकलन करने के भी निर्देश दिए गए हैं। ताकि वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके।
शुगर के 27 प्रतिशत तक मरीजों को समस्या
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. सुभाष मिश्रा ने बताया कि शुगर के 23 से 27 प्रतिशत तक मरीज डायबिटिक रेटिनोपैथी की जद में आते हैं। फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 15 से अधिक आयु की नौ प्रतिशत महिलाओं व 10.8 प्रतिशत पुरुषों को शुगर है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया कि अनियमित जीवनशैली की वजह से लोगों में शुगर की समस्या लगातार बढ़ रही है। सात वर्ष बाद शुगर के मरीजों में यह समस्या आनी शुरू हो जाती है।
जानें क्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी
आंबेडकर अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अमृता वर्मा ने बताया कि अनियंत्रित शुगर वाले मरीजों में डायबिटिक रेटिनोपैथी आंख की रेटिना के पीछे की नसों को नुकसान पहुंचाने लगती है। नसें धीरे-धीरे सूखने लगती हैं। नसों में खून आ जाता है। पहले तो धुंधलापन होता है, फिर धीरे-धीरे दिखना बंद और अंतत: आंखें पूरी तरह खराब हो जाती है। इसके बचाव के लिए शुगर का नियंत्रित होना, समय-समय पर आंखों की जांच व लक्षण होने पर इलाज जरूरी है।
प्रदेश में तीन वर्षों में चिन्हित डायबिटिक रेटिनोपैथी के रोगी
वर्ष – संख्या
2020-21 – 5,621
2021-22 – 9,215
2022-23 – 6,924
कुल – 21,760
प्रदेश में शुगर रोगियों की स्थिति प्रतिशत में
वर्ग – शहरी – ग्रामीण – कुल
महिलाएं – 12.1 – 8.1 – 9.0
पुरुष – 12.8 – 10.3 – 10.8
देश में शुगर रोगियों की स्थिति प्रतिशत में
वर्ग – ग्रामीण – शहरी – कुल
महिलाएं – 16.3 – 12.3 – 13.5
पुरुष – 17.9 – 14.5 – 15.6
राज्य महामारी नियंत्रक के संचालक डा. सुभाष मिश्रा का कहना है कि अनियंत्रित शुगर की वजह से रोगियों में डायबिटिक रेटिनोपैथी की शिकायत बढ़ रही है। शासन की तरफ से योजना के तहत इलाज किया जा रहा है। एनटीवीईजीएफ इंजेक्शन भी मेडिकल कालेज व जिला अस्पतालों में उपलब्ध कराया जा रहा है।
आंबेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डा. निधि पांडेय ने बताया कि आंबेडकर अस्पताल में डायबिटिक रेटिनोपैथी के रोजाना 15 से 20 केस आ रहे हैं। यहां मरीजों को बेहतर इलाज मिल रहा है। समस्या इसलिए भी गंभीर है कि आंखों की रोशनी चले जाने पर वापस आना मुश्किल है। इसलिए हम जागरूक कर रहे हैं। लोगों को खुद भी जागरूक रहना जरूरी है।
Source : नईदुनिया

