

सिटी न्यूज़ रायपुर। रायपुर। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में एक बड़ा सियासी घटनाक्रम देखने को मिला था। पिछली बार सात सीटें जीतने वाला जोगी कांग्रेस और बसपा का गठबंधन इस बार के विधानसभा चुनाव में देखने को नहीं मिलेगा। बसपा के साथ ही हुए गठबंधन को जोगी कांग्रेस अपने लिए नुकसानदायक मान रही है। इस वजह से चुनाव से काफी पहले ही जोगी कांग्रेस के रणनीतिकारों ने तय कर दिया है कि बसपा के साथ जाने से जो नुकसान पिछली बार हुआ है, वह इस बार नहीं दोहराएंगे। इस कारण जोगी कांग्रेस ने चुनाव के नौ महीने पहले ही अपनी राह अलग कर ली है।
2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा और जोगी कांग्रेस ने सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसमें जोगी कांग्रेस ने 55 सीटों पर और बसपा ने 35 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। गठबंधन को सात सीटें मिली थीं, जिनमें जोगी कांग्रेस के पांच और बसपा के दो विधायक जीते थे। जोगी कांग्रेस ने मरवाही, कोटा, लोरमी, बलौदाबाजार और खैरागढ़ में बाजी मारी थी। वहीं, बसपा को पामगढ़ और जैजैपुर में जीत मिली थी। यह समीकरण पूरे पांच साल नहीं रहा।
बाद में हुए उपचुनाव में मरवाही और खैरागढ़ सीट कांग्रेस ने जीत ली। इस तरह अब जोगी कांग्रेस के पास सिर्फ तीन सीटें रह गई हैं। वैसे तीन में से लोरमी विधायक धरमजीत सिंह को पार्टी ने निलंबित कर रखा है। वोट शेयर के हिसाब से जोगी कांग्रेस को राज्य में 7.4 प्रतिशत वोट मिले और बसपा को 3.7 प्रतिशत वोट। इस कारण जोगी कांग्रेस की ओर से चुनाव के बाद से ही यह बात प्रचारित की गई कि उसे कई सीटों पर गठबंधन की वजह से नुकसान हुआ है। लिहाजा इस बार वही गठबंधन दोहराने की संभावना को खारिज किया जा रहा है।
जोगी कांग्रेस का फोकस इस बार स्थानीय दलों से गठबंधन पर होगा ताकि स्थानीय क्षत्रप तैयार हो सकें। इसके लिए जोगी कांग्रेस ने पहल शुरू भी कर दी है। अमित जोगी का कहना है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, सर्व आदिवासी समाज और मुक्ति मोर्चा जैसी ताकतों को साथ लाने का प्रयास किया जाएगा। राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन होने से पार्टी के कैडर के लोगों का महत्व कम हो जाता है।

