

रायपुर नगर निगम में हुए यूनिपाेल, होर्डिंग घपले में नया मोड़ आया है। गुरुवार को इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस लेते हुए महापौर एजाज ढेबर ने अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि जांच कमेटी ने अधिकारियों से जो जवाब मांगे थे, वो जवाब मिले हैं। मेयर के मुताबिक इस पूरे मामले में अधिकारी और कर्मचारी दोषी हैं।
महापौर एजाज ढेबर ने ये साफ नहीं किया कि कौन से अधिकारी या कर्मचारी इसमें दोषी हैं, जांच कब तक पूरी होगी और किस पर कार्रवाई होगी। क्या कर्मचारियों पर FIR होगी, या उनसे वसूली की जाएगी इन सवालों पर मेयर ने कहा कि इसका निर्णय जांच कमेटी करेगी। अभी इसपर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि 15 दिन पहले इस मामले में एजाज ढेबर ने दोषी अफसरों पर FIR करने की बात कही थी।
50 करोड़ का नुकसान
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि नगर निगम को इससे करीब 50 करोड़ का नुकसान हुआ है। अधिकारी होर्डिंग्स लगाने या उनके टेंडर जारी करने में नियमों का पालन करते तो ये रकम निगम के पास आती। इस राशि का इस्तेमाल गार्डन, मोहल्लों के विकास में होता।
अपना सोना खोटा बताया
महापौर ने कहा कि निगम के अधिकारियों ने यूनिपोल लगाने मनमानी की और एजेंसियों को फायदा पहुंचाया। काम एजेंसी की अनुशंसा पर दे दिए गए। 51 बोर्ड की परमिशन 4 महीने में दे दी गई। एजेंसी से ज्यादा हमारे अधिकारी कर्मचारी ज्यादा लिप्त दिखते हैं। अपना ही सोना खोटा है तो सुनार को क्या दोष दें। एजेंसी ने काम किया, गलत तो अफसरों ने किया। अधिकारी दोषी हैं, कर्मचारी अधिकारी गोलमोल जवाब दे रहे हैं, एजेंसी को मैं दोषी नहीं मानता, मेरे ही आदमी कागज बना रहे हैं।
जानकरी से संतुष्ठ नहीं
इस संबंध में महापौर ने कहा, “हमने BOT (बॉट) और रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल के आधार पर डिवाइडरों पर लगे मिनी यूनिपोल की निविदा में हुई अनियमितता की जांच की है। दिए गए समय तक हमें इस संबंध में जानकारी मिली है जो संतुष्ट करने योग्य नहीं है। इसके अलावा, स्मार्ट टॉयलेट के आसपास लगे दो-दो मिनी यूनिपोल के संबंध में भी निविदा संबंधित त्रुटियों और निविदा नियम और शर्तों के उल्लंघन की खबरें सामने आई हैं। नगर पालिका के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली और अधिकृत विज्ञापन एजेंसियों पर इस संबंध में सवाल उठाए गए हैं। जल्द ही कार्रवाई होगी।

