हिल स्टेशन में पर्यटन का हाल: 2012 में पर्यटन केंद्र की नींव डाली, अब सिर्फ ढांचा ही

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प्रदेश के सबसे ठंडे हिस्सों में से एक सन्ना का पंडरापाठ इलाका। जिस साल प्रदेश में बर्फ जमने की स्थिति बने, वो सबसे पहले यहीं देखने को मिलता है। यहां 2012 में पर्यटन के लिए कॉटेज बनाने की प्लानिंग की गई। जिस ठेकेदार को काम मिला था, उसकी असमय मौत हो गई। काम बंद हो गया। 2018 में जब नई सरकार चुनकर आई तो इस पर दोबारा कवायद शुरू हुई। टेंडर भी हुआ। सत्येंद्र सिंह नाम के ठेकेदार को काम भी मिला।

सत्येंद्र सिंह से बात की तो पता चला कि काम अलॉट ही नहीं हुआ। वह कैंसिल हो गया। अब हालात ये हैं कि जहां टूरिस्टों को पहुंचना था, वहां गाएं बंधी रहती है। यहां लोग वहां गोबर का खाद बना रहे हैं। इस संबंध में जब भास्कर ने रायपुर स्थित टूरिज्म डिपार्टमेंट से पेंडिंग कामों की लिस्ट मांगी तो उस लिस्ट में पंडरापाठ गायब है। जब अलग से पूछा तो बताया कि ये बजट के अभाव में लंबित है। सरगुजा और बस्तर का प्राकृतिक सौंदर्य बिल्कुल पचमढ़ी के स्तर का है। यहां की टोपोग्रॉफी इसे और खास बना देती है।

जलप्रपात और इको-टूरिज्म के साथ स्पोर्ट्स टूरिज्म की बहुत संभावनाएं हैं। लेकिन इसके लिए बेहतर प्लानिंग की जरूरत है। जिस तरीके से रामवनगमन पथ सर्किट, सतरेंगा सर्किट पर फोकस वर्किंग की गई, वैसा ही काम टूरिस्टों को आकर्षित कर सकता है। बस्तर में फिर भी स्थानीय टूरिस्ट पहुंच रहे हैं। सरगुजा में तो ये भी नहीं हो रहा।

33 जिले, बजट 106 करोड़
छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड का इस साल का बजट 106 करोड़ रुपए है। हर साल इसमें 12 से 13 प्रतिशत की वृद्धि होती है। चूंकि रामवनगमन पथ बड़ा प्रोजेक्ट है। सिर्फ इसके लिए 50 करोड़ का बजट रखा गया है। इस हिसाब से देखें तो प्रति जिले 2 करोड़ से भी कम का बजट अलॉट हो पाएगा। इतने कम बजट में टूरिज्म सर्किट विकसित करना संभव नहीं। प्रक्रिया के अनुसार ये बजट जिलों को जारी होता है। इसमें रेनोवेशन, एप्रोच रोड जैसे काम किए जाते हैं।

सीधी बात – अटल श्रीवास्तव, अध्यक्ष, टूरिज्म बोर्ड
{पंडरापाठ में 12 मोटल अधूरे हैं।
{पिछले दिनों कुनकुरी प्रवास में मुझे पता चला था। अधिकारियों से जानकारी लेनी पड़ेगी।
{भास्कर को वहां गायें बंधी मिली? काम भी बंद है?
{विवाद है तो समाधान करेंगे। सुविधाएं मिलेगी तो पर्यटक जरूर पहुंचेंगे।
{पर्यटन को बढ़ावा देने सरकार आगे क्या करेगी?
{मॉनिटरिंग बढ़ाएंगे। रामवनगमन पथ पर काम चल रहा है। मोटल निजीकरण और बस्तर-सरगुजा का अलग प्लान है।

 

Source : दैनिक भास्कर