विधानसभा चुनाव करीब आते ही ऐक्शन मोड में दिखे कई नेता: न धूप की परवाह, न धूल की, जमीनी दौरा कर मतदाताओं को रिझाने पहुंच रहे…

54
Lotus dental clinic Birgaon

छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव करीब आते ही जनप्रतिनिधियों की सक्रियता बढ़ गई है। एसी कार से उतरकर अब नेताओं का अब जमीनी दौरा शुरू हो गया है। कोई तपती दोपहरी में पहाड़ चढ़ रहा है, तो कोई अंदरूनी इलाकों में दौरा कर मतदाताओं को रिझाने पहुंच रहे हैं। इस वक्त छत्तीसगढ़ में पारा 45 डिग्री के पार पहुंच गया है लेकिन यहां के नेताओं ने भी गजब का ठान रखा है कि चाहे जितनी भी गर्मी हो अपने इलाके में माहौल बनाने की पूरी कोशिश रहेगी।

खासकर आदिवासी इलाकों के मंत्री और नेताओं को तेज गर्मी के बावजूद यह समय जनसंपर्क के लिए माकूल लग रहा है, क्योंकि चुनाव के लिए वक्त कम है और पूरे इलाके को कवर भी करना है। इसलिए सूबे के मंत्री और संभावित उम्मीद्वारों की चढ़ाई अभी से शुरू हो गई है। इन इलाकों में जाने और फोटो खींचवाने के बाद सोशल मीडिया में भी तस्वीरें भी पोस्ट की जा रही है।

आमापानी में गांव की बुजुर्ग महिला से बात करते मंत्री अमरजीत भगत
आमापानी में गांव की बुजुर्ग महिला से बात करते मंत्री अमरजीत भगत

पहाड़ चढ़कर आमापानी गांव पहुंचे अमरजीत भगत
सूबे के खाद्य और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने पहाड़ चढ़कर अपने विधानसभा क्षेत्र के गांव आमापानी की तस्वीरें शेयर की हैं। वे यहां 3.5 किलोमीटर पैदल पहाड़ चढ़कर सरगुजा जिले के पहुंचविहीन गांव आमापानी(बांसाझाल ग्राम पंचायत) पहुंच कर ग्रामीणों के बीच जन चौपाल लगाई। यहां उन्होंने बांसाझाल की शिक्षित पहाड़ी कोरवा महिला झूनिका कोरवा को तत्काल आंगड़बाड़ी कार्यकर्ता के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया।
अमरजीत भगत ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि आमापानी भौगोलिक रूप से एक पहुंचविहीन पहाड़ी गांव है, चुनौतियां चाहे जो भी हो हम गांव के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। हर चुनौती का सामना कर राह निकाली जाएगी और गांव में सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। अमरजीत भगत ने पहाड़ चढ़कर जाने की और वहां झोपड़ी में गरीब आदिवासी बुजुर्ग महिला की समस्या सुनते अपनी ब्लैक एंड व्हाइट और कलर फोटो भी सोशल मीडिया में शेयर की है।

अपने विधायकी वाले क्षेत्र में विकास कार्यों का जायजा लेने निकले मंत्री कवासी लखमा
अपने विधायकी वाले क्षेत्र में विकास कार्यों का जायजा लेने निकले मंत्री कवासी लखमा

अंदरूनी इलाकों में कवासी लखमा का दौरा
प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी अपने क्षेत्र में जोर-शोर से घूम रहे हैं। नक्सल प्रभावित सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा से कवासी लखमा विधायक हैं और बस्तर के सबसे अंदरूनी क्षेत्रों में लखमा का विधानसभा क्षेत्र आता है। इसलिए यहां के जंगलों में घूमना जनप्रतिनिधियों के लिए चुनौती से कम नहीं है लेकिन चुनाव करीब आते इन इलाकों में होने वाले विकास कार्यों का जायजा लेने और क्षेत्र के लोगों से मेल-मिलाप के लिए कवासी लखमा लगातार दौरे कर रहे हैं।

तपती दोपहरी में पेड़ के नीचे सरकार के खिलाफ चल रहे आंदोलन में लोगों को सम्बोधित करते पूर्व मंत्री केदार कश्यप
तपती दोपहरी में पेड़ के नीचे सरकार के खिलाफ चल रहे आंदोलन में लोगों को सम्बोधित करते पूर्व मंत्री केदार कश्यप

सत्ता पक्ष के खिलाफ माहौल बनाते वनक्षेत्र में दिखे केदार कश्यप
इन दिनों बीजेपी के नेता ‘चलबो गौठन खोलबो पोल’ अभियान के तहत गौठानों का दौरा कर रहे हैं। पूर्व मंत्री केदार कश्यप भी सरकार के गोधन न्याय योजना की कलई खोलने के लिए अंदरूनी गांवों का दौरा कर रहे हैं। इसके अलावा कोंडागांव जिले के मर्दापाल में तेंदूपत्ता खरीदी केन्द्र में लगे चौपाल और वनपरिक्षेत्र कार्यालय घेराव के कार्यक्रम में भी कश्यप पेड़ों के नीचे चौपाल लगाते दिखाई दिए।

प्रदेश में कई इलाके ऐसे हैं जहां तक कार या बाइक से जाना संभव नहीं है,ऐसे में आम जनता से लेकर वीआईपी सभी को पैदल ही सफर करना होता है।
प्रदेश में कई इलाके ऐसे हैं जहां तक कार या बाइक से जाना संभव नहीं है,ऐसे में आम जनता से लेकर वीआईपी सभी को पैदल ही सफर करना होता है।

पैदल चलने की मजबूरी
मंत्री और नेताओं का काफिला तो लग्जरी गाड़ियों में निकलता है लेकिन अंदरूनी इलाकों में पहुंचते ही उनका चक्का थम जाता है। गाड़ियां रुक जाती है और एसी बंद हो जाता है फिर मंत्री जी की पैदल पहाड़ की चढ़ाई करते हैं, उनके साथ पुलिसकर्मियों के अलावा कुछ अधिकारी और समर्थक भी साथ होते हैं। भले ही मंत्री और नेताओं के जनसम्पर्क में अधिकारियों का इंट्रेस्ट हो या ना हो लेकिन उनके साथ पैदल पहाड़ चढ़ना उनकी भी मजबूरी है।

मानसून से पहले जनसम्पर्क पूरा करने का टारगेट
इस समय एसी वाहनों की नरमी अब तपती दोपहरी पर भारी पड़ने लगी है। विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने है। ऐसे में मंत्री और नेता चाहते हैं कि एक दौर का जनसम्पर्क चुनाव से पहले ही पूरा हो जाए ताकि ऐन चुनाव के समय पहुंचने पर लोगों की नाराजगी नहीं झेलनी पड़े।

इसकी दूसरी वजह ये भी है कि मानसून से पहले इन इलाकों में पहुंच आसान होती है लेकिन बारिश के बाद कई नदी-नाले उफान पर रहते हैं और कई अंदरूनी इलाके मुख्यालय से कट भी जाते हैं। इसलिए भले ही तेज गर्मी पड़ रही हो लेकिन चुनाव से पहले मतदाताओं के पास पहुंचने का ये माकूल समय है। इसलिए नेता जमकर पसीना बहा रहे हैं। इस दौरान दावे और वादे भी किए जा रहे हैं और अपने किए कामों का बखान भी जमकर किया जा रहा है।