Raipur, राजधानी में बदलते मौसम के साथ फूड पॉइज़निंग, उल्टी-दस्त और पेट से जुड़ी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंबेडकर और जिला अस्पताल की ओपीडी खुलने पर सामने आया कि 15 से 20 फीसदी मरीज ऐसे थे, जो पेट दर्द, दस्त, उल्टी या संक्रमण जैसी शिकायतों के साथ पहुंचे। खासकर मेडिसिन और पीडियाट्रिक विभाग में 5 से 20 साल के बच्चों और किशोरों की संख्या ज्यादा रही।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल दुनियाभर में लगभग 60 करोड़ लोग दूषित भोजन के कारण बीमार होते हैं, जिनमें से 4.2 लाख की मौत हो जाती है। इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित 5 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं, जिनमें हर साल करीब 1.25 लाख बच्चों की मौत फूड पॉइज़निंग से होती है।

डॉक्टरों के मुताबिक गर्मी के मौसम में साल्मोनेला, ई. कोलाई और लिस्टेरिया जैसे बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं, जिससे खाने के जल्दी खराब होने और इंफेक्शन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। स्ट्रीट फूड इस दौरान सबसे बड़ा जोखिम बन जाता है, क्योंकि यह खुले में बिकता है, जहां धूल और मक्खियों की भरमार रहती है।

आंबेडकर अस्पताल के प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि इन दिनों स्ट्रीट फूड और बाहर का खाना बच्चों और बड़ों दोनों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। उन्होंने सलाह दी कि गर्मी में ताजा और घर का बना गर्म खाना ही खाएं ताकि फूड पॉइज़निंग से बचा जा सके।