छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की जीवनरेखा कही जाने वाली इंद्रावती नदी के सूखने का मामला अब सियासी तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी का आरोप है कि सरकार केवल कागजों पर किसानों के हित में काम कर रही है, जबकि ज़मीनी हकीकत बिल्कुल अलग है।

बस्तर के हजारों किसान इंद्रावती नदी पर निर्भर हैं, लेकिन बीते कुछ समय से नदी का जलस्तर लगातार घटता जा रहा है। गर्मी के मौसम में तो कई स्थानों पर नदी पूरी तरह सूख चुकी है। इससे सिंचाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है और किसानों की फसलें सूखने लगी हैं।

कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह इस मुद्दे को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ेगी। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जब तक किसानों को उनका पानी और हक नहीं मिलेगा, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे। पार्टी ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार केवल दिखावे के तौर पर घोषणाएं कर रही है, लेकिन धरातल पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

गौरतलब है कि हाल ही में एक विशेष रिपोर्ट प्रसारित की थी जिसमें सूखती इंद्रावती नदी और बस्तर के किसानों की हालत को प्रमुखता से दिखाया गया था। इस रिपोर्ट के बाद छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों के बीच भुवनेश्वर में एक बैठक हुई थी, जिसमें इंद्रावती नदी में बस्तर के हिस्से का 49 प्रतिशत पानी छोड़े जाने पर सहमति बनी थी।

हालांकि कांग्रेस का दावा है कि यह सहमति भी केवल कागज़ों पर है और अब तक उसका कोई असर ज़मीन पर नहीं दिखा है। कांग्रेस प्रवक्ताओं का कहना है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो बस्तर के किसान गहरे संकट में फंस जाएंगे।

अब देखना यह होगा कि कांग्रेस के आंदोलन का कितना असर होता है और क्या सरकार किसानों को राहत देने के लिए कोई ठोस कार्रवाई करती है या यह मुद्दा केवल सियासी बयानबाज़ी तक ही सीमित रह जाएगा।

बस्तर के लोगों की निगाहें अब सरकार और कांग्रेस, दोनों की अगली रणनीति पर टिकी हैं।