लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश जारी है। पार्टी नेतृत्व इस बार पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक प्रभावशाली ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) नेता पर दांव लगाने की तैयारी में है, ताकि 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को बेहतर तरीके से साधा जा सके।
हाइलाइट्स:
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यूपी भाजपा अध्यक्ष पद के लिए ओबीसी नेता पर विचार
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धर्मपाल सिंह, बीएल वर्मा और बाबूराम निषाद प्रमुख दावेदार
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पार्टी दलित चेहरों को भी देख रही है, लेकिन कोई बड़ा नाम नहीं
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2027 के चुनावों की रणनीति को ध्यान में रखकर हो रहा चयन
भाजपा नेतृत्व पर सपा के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण के जवाब में ओबीसी या दलित चेहरे को आगे लाने का दबाव है। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया, “ओबीसी समुदाय यूपी की सबसे बड़ी आबादी है और वर्तमान में पार्टी के पास कोई बड़ा दलित चेहरा नहीं है, जिससे ओबीसी नेता की नियुक्ति की संभावना ज्यादा है।”
पूर्वी यूपी पर फोकस
पार्टी इस बार खासतौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश से नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर विचार कर रही है। 2024 लोकसभा चुनावों में इस क्षेत्र की 24 सीटों में से भाजपा और सहयोगी अपना दल (एस) सिर्फ 10 सीटें ही जीत पाए थे, जबकि सपा ने 14 सीटें जीतीं। पार्टी को उम्मीद है कि पूर्वांचल से ओबीसी नेता को चुनने से इस नुकसान की भरपाई हो सकती है।
संभावित नामों की चर्चा
इस पद के लिए जिन नामों की चर्चा है, उनमें शामिल हैं:
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धर्मपाल सिंह – राज्य मंत्री, लोध ओबीसी समुदाय से
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बीएल वर्मा – केंद्रीय राज्य मंत्री, लोध समुदाय से
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बाबूराम निषाद – राज्यसभा सांसद, निषाद समुदाय से
धर्मपाल और वर्मा दोनों ही भाजपा के पारंपरिक ओबीसी मतदाता समूह से आते हैं, जिनका प्रभाव बुंदेलखंड और रोहिलखंड क्षेत्रों में है। पार्टी के भीतर यह भी चर्चा है कि कुछ दलित नेताओं जैसे रामशंकर कठेरिया, विनोद सोनकर, नीलम सोनकर और विद्या सागर सोनकर के नाम भी विचाराधीन हैं।
ब्राह्मण चेहरों की संभावना कम
हालांकि, दिनेश शर्मा और हरीश द्विवेदी जैसे ब्राह्मण नेताओं के नाम भी चल रहे हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (ठाकुर) पहले से ही उच्च जाति से हैं, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए बहुसंख्यक ओबीसी या दलित समुदाय से नेता चुना जाना राजनीतिक रूप से अधिक उपयुक्त होगा।
प्रक्रिया में देरी और अब तैयार नियुक्ति
भाजपा ने हाल ही में 98 जिला और शहर इकाई प्रमुखों में से 70 की नियुक्ति पूरी कर ली है, जिससे अब प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। पार्टी संविधान के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष का चयन तभी संभव है जब 50% से अधिक जिला व शहर इकाइयों की नियुक्ति हो चुकी हो।
भाजपा के प्रवक्ता अवनीश त्यागी ने कहा, “पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया होती है, जिसमें कार्यकर्ताओं की भावनाओं का भी ध्यान रखा जाता है। जल्द ही नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया जाएगा।”
वर्तमान में यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी हैं, जो जाट समुदाय से आते हैं और अगस्त 2022 में नियुक्त किए गए थे। उन्होंने कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह का स्थान लिया था।
अब देखना यह है कि भाजपा अगले प्रदेश अध्यक्ष के रूप में किस नेता पर भरोसा जताती है – ओबीसी, दलित या फिर किसी क्षेत्रीय समीकरण को साधने वाला नया चेहरा।