छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक बार फिर सरकारी बंगले को लेकर विवाद सामने आया है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह देव ने सिविल लाइन क्षेत्र के बस्तरबाड़ा स्थित बंगले पर अपने नाम की एक नहीं बल्कि पांच नेमप्लेट टांग दी हैं। हैरानी की बात यह है कि यह बंगला गृह विभाग द्वारा रायपुर एसएसपी कार्यालय के लिए आवंटित किया गया है।
गृह विभाग ने इस बंगले को एसएसपी कार्यालय को आवंटित करते हुए 30 जनवरी 2025 को आदेश जारी किया था। यह स्थान अस्थायी तौर पर एसएसपी ऑफिस के लिए तय किया गया है, क्योंकि रायपुर कलेक्टोरेट परिसर में नई कम्पोजिट बिल्डिंग का निर्माण कार्य जारी है, जिसमें एसएसपी का स्थायी ऑफिस भी प्रस्तावित है।
लेकिन राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह देव ने आदेशों को दरकिनार करते हुए बंगले पर ‘कब्जा’ जमा लिया और अपने नाम की पांच नेमप्लेट्स गेट पर लगा दीं। बताया जा रहा है कि उन्होंने पहले मुख्यमंत्री से सरकारी आवास की मांग की थी, लेकिन जब बात नहीं बनी तो उन्होंने यह बंगला अपने लिए उपयुक्त समझा और ‘कब्जा’ कर लिया।
गौरतलब है कि यह बंगला पहले कांग्रेस नेता मोहन मरकाम को आवंटित किया गया था, जो राज्य में पीसीसी अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। मरकाम के बंगला खाली करने के बाद इसे एसएसपी ऑफिस के लिए चिन्हित किया गया था।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू
इस घटनाक्रम के बाद राजनीति भी गरमा गई है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता विकास तिवारी ने इसे ‘अवैध कब्जा’ बताते हुए तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा –
> “सरकारी जमीन और सम्पत्ति पर अवैध कब्जा करने के लिए पहचानी जाने वाली भाजपा सरकार अब पुलिस कप्तान के ऑफिस तक पहुंच गई है। जिस एसएसपी से आम जनता न्याय की उम्मीद करती है, वह खुद अपने ऑफिस के लिए भटक रहा है। यह बेहद शर्मनाक है।”
विकास तिवारी ने गृहमंत्री विजय शर्मा से सवाल किया कि क्या राज्यसभा सांसद ने उनके निर्देश पर यह कब्जा किया है? अगर सांसद एसएसपी के ऑफिस में रहेंगे, तो क्या एसएसपी सड़क पर ऑफिस लगाएंगे?
फिलहाल इस मुद्दे पर शासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह मामला आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक विवाद बन सकता है।