देशभर में मानसून और प्री-मानसून बारिश के चलते हरी सब्जियों की कीमतों में 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखी जा रही है। लगातार बदलते मौसम—कभी तेज बारिश तो कभी तीखी धूप—की वजह से सब्जियों की खेती को खासा नुकसान पहुंचा है, जिससे लोकल बाजार में सप्लाई प्रभावित हुई है।

75% सब्जी बाहर से आ रही, लोकल आपूर्ति कमजोर

सब्जी व्यापारियों के अनुसार, फिलहाल बाजार में 75 प्रतिशत तक सब्जी की आपूर्ति कर्नाटक, ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से हो रही है। टमाटर, शिमला मिर्च, गोभी, बीट, बीन्स, खेक्सी जैसी कई सब्जियां अन्य राज्यों से आ रही हैं।

बारिश बढ़ी तो और चढ़ेंगी कीमतें

जैसे ही तेज बारिश शुरू होगी और नदी-नालों में पानी बढ़ेगा, बाढ़ की स्थिति बनने पर हरी सब्जियों के साथ आलू, प्याज और धनिया की कीमतों में और इजाफा होगा। फिलहाल टमाटर का थोक मूल्य 400–450 रुपये प्रति कैरेट है, जबकि फुटकर बाजार में यह 25–30 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। गोभी, पत्ता गोभी, खेक्सी, तोरई और शिमला मिर्च जैसे सब्जियों के दाम 50 से 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं।

अभी सस्ते हैं आलू-प्याज, लेकिन उछाल तय

फिलहाल आलू और प्याज की कीमतों में थोड़ी राहत है, लेकिन अगले 15 दिनों में इनके दामों में भी तेजी आने की संभावना जताई जा रही है। थोक फल-सब्जी विक्रेता संघ के अध्यक्ष टी. श्रीनिवास रेड्डी का कहना है कि बाहरी सप्लाई के भरोसे चल रहा बाजार फिलहाल महंगाई झेल रहा है।

कुछ भाजी गायब, कुछ ने संभाला मोर्चा

तेज धूप और बारिश के कारण पालक, मेथी, लाल भाजी, कुलथी और कांदा भाजी जैसी पत्तेदार सब्जियां बाजार से लगभग गायब हो गई हैं। सीमित मात्रा और बढ़ती मांग के कारण इनकी कीमतें भी ऊंची हो गई हैं। हालांकि, चरोटा, करमता, खेड़ा जैसी कुछ स्थानीय और बरसाती भाजियों की अच्छी आवक बनी हुई है। इसके साथ ही ढेस, भिड़ी, ग्वार और बरबट्टी जैसी सब्जियों से फिलहाल बाजार की जरूरतें पूरी हो रही हैं।