राज्य उपभोक्ता आयोग ने एक अहम निर्णय में वन विभाग को करंट हादसे में जान गंवाने वाले तेंदूपत्ता संग्राहक के परिजनों को 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 4.30 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। यह राशि बीमा क्लेम, मानसिक पीड़ा और वाद व्यय के रूप में दी जानी है।

यह मामला 11 अक्टूबर 2021 को कोमल पटेल की मौत से जुड़ा है, जो तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य से जुड़े थे और करंट की चपेट में आकर उनकी मृत्यु हो गई थी। उनकी पत्नी संतोषी पटेल ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ-साथ वनोपज समिति को सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ मुआवजे का आवेदन भी सौंपा। लेकिन समिति ने यह कहते हुए क्लेम खारिज कर दिया कि आवेदन तय समयसीमा (45 दिन) के भीतर नहीं किया गया।

पीड़िता ने जिला उपभोक्ता फोरम राजनांदगांव में केस दायर किया, लेकिन वहां भी उसका दावा समयसीमा के उल्लंघन के आधार पर निरस्त कर दिया गया। इसके बाद वह राज्य आयोग पहुंची, जहां न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया ने पूरे प्रकरण की समीक्षा की और वन विभाग की समयसीमा संबंधी आपत्ति को खारिज कर दिया।

आयोग ने माना कि मृतक तेंदूपत्ता संग्राहक शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत बीमा कवरेज में आते थे। इस योजना के तहत सामान्य मृत्यु पर 2 लाख और दुर्घटनाजन्य मृत्यु पर अतिरिक्त 2 लाख रुपये का प्रावधान है। आयोग ने बीमा की यह दोनों राशि मंजूर की और 30 हजार रुपये अतिरिक्त मानसिक क्षतिपूर्ति और वाद व्यय के रूप में देने का आदेश दिया।

यह फैसला तेंदूपत्ता संग्राहकों और अन्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए राहतकारी साबित हो सकता है, जो अकसर तकनीकी आधारों पर मुआवजे से वंचित रह जाते हैं।