केंद्रीय सरकार ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) में संशोधन करते हुए ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया है। अब केंद्रीय विद्यालयों सहित सरकारी स्कूलों में कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्र यदि वार्षिक परीक्षा में फेल होते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।

मुख्य बिंदु:

  • पुनः परीक्षा का अवसर: यदि छात्र पहली परीक्षा में फेल होते हैं, तो उन्हें दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। यदि वे इस परीक्षा में भी असफल रहते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रोक लिया जाएगा।

  • शिक्षकों द्वारा सहायता: फेल होने वाले छात्रों को शिक्षकों द्वारा अतिरिक्त मार्गदर्शन और विशेष शिक्षा प्रदान की जाएगी, ताकि उनकी शैक्षणिक कमियों को दूर किया जा सके।

  • कॉपिटेटिव दक्षता आधारित प्रश्न: परीक्षा में 50% प्रश्न कॉपिटेटिव दक्षता पर आधारित होंगे, जिससे छात्रों की समग्र योग्यता का मूल्यांकन किया जा सकेगा।

  • अनिवार्य शिक्षा: हालांकि छात्रों को फेल किया जा सकता है, लेकिन किसी भी छात्र को कक्षा 8वीं तक स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा।

यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत लिया गया है, जिसका उद्देश्य छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाना है। इस बदलाव से छात्रों में प्रतिस्पर्धात्मक भावना बढ़ेगी और वे अपनी पढ़ाई को अधिक गंभीरता से लेंगे।