छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। छात्राओं के साथ अनुचित व्यवहार और “बैड टच” जैसे गंभीर आरोपों के बावजूद दोषी पाए गए शिक्षकों को बहाल किया जा रहा है।

हालिया मामला बिल्हा विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला मंगला का है, जहां एक प्रधान पाठक रामकिशोर निर्मलकर पर एक छात्रा के साथ अशोभनीय हरकत करने का आरोप लगा था। जांच में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। लेकिन महज दो महीने में ही जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) द्वारा उन्हें बहाल कर महमंद स्कूल में पदस्थ कर दिया गया।

बिल्हा बीईओ सुनीता ध्रुव ने बताया कि घटना की शिकायत के बाद जांच की गई थी, जिसमें प्रधानपाठक की गलती पाई गई थी। निलंबन की कार्रवाई तो हुई, लेकिन पुलिस में मामला दर्ज नहीं हो सका क्योंकि थाना प्रभारी ने परिजनों की सहमति के बिना एफआईआर लिखने से इनकार कर दिया।

इससे पहले तखतपुर ब्लॉक में एक अन्य शिक्षक, जो पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपी था और काफी समय तक फरार रहा, उसे भी डीईओ द्वारा बहाल कर दिया गया था। अब दोबारा एक ऐसे ही गंभीर आरोप वाले शिक्षक की पुनः नियुक्ति से शिक्षा विभाग में पारदर्शिता को लेकर संदेह गहराता जा रहा है।

शिक्षक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस स्थिति पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि दोषियों को बिना विभागीय जांच पूरी हुए बहाल करना न केवल पीड़ित बच्चियों के साथ अन्याय है, बल्कि इससे ऐसे आपराधिक व्यवहार को बढ़ावा मिल सकता है।

इस पूरे मामले ने शिक्षा विभाग की नीतियों और डीईओ की भूमिका पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।