नई दिल्ली में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य की ओर से ‘आत्मनिर्भर बस्तर’ का विजन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि बस्तर, जो कभी नक्सल हिंसा का केंद्र था, अब विकास, रोजगार और आत्मनिर्भरता का नया प्रतीक बन रहा है।

मुख्यमंत्री ने देश के लिए 2047 तक 75 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य साझा किया। उन्होंने राज्य के विकास के लिए थ्री टी मॉडल — टेक्नोलॉजी, ट्रांसपेरेंसी और ट्रांसफॉर्मेशन — को अहम बताया। उन्होंने कहा कि शासन प्रणाली को तकनीक-आधारित और पारदर्शी बनाया जा रहा है, जिससे योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन हो सके।

साय ने बताया कि बस्तर अब संघर्ष नहीं बल्कि संभावनाओं की धरती बन रही है। जहां पहले हिंसा की गूंज थी, वहां अब मशीनें, तकनीकी उपकरण और स्टार्टअप्स की बात हो रही है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस रणनीति से न केवल छत्तीसगढ़ विकसित राज्यों की कतार में शामिल होगा, बल्कि देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने ‘छत्तीसगढ़ अंजोर विजन डॉक्यूमेंट’ नाम से एक समग्र योजना तैयार की है, जिसमें 13 प्रमुख क्षेत्रों — शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, आईटी, पर्यटन, अधोसंरचना और कौशल विकास आदि — को प्राथमिकता दी गई है। इस विजन के तहत प्रति व्यक्ति आय में 10 गुना वृद्धि का अनुमान है।

बैठक के दौरान एक भावुक क्षण तब आया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंच ब्रेक के समय मुख्यमंत्री साय का हाथ थामते हुए कहा, “छत्तीसगढ़ की बात अभी बाकी है।” इस दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन भी मौजूद थे और मुस्कुराते हुए इस पल के साक्षी बने। पीएम मोदी ने आदिवासी क्षेत्रों में हो रहे बदलाव और आत्मनिर्भर बस्तर की दिशा में हो रहे प्रयासों की प्रशंसा की।