छत्तीसगढ़ की मंडियों में रबी सीजन के चलते इन दिनों धान की भरपूर आवक हो रही है, लेकिन कीमतें इतनी कम मिल रही हैं कि किसानों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। राजिम कृषि उपज मंडी में किसान अपना धान केवल 1600 से 1900 रुपए प्रति क्विंटल में बेचने को मजबूर हैं, जबकि खरीफ सीजन में यही धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 3100 रुपए प्रति क्विंटल तक बिका था। कीमतों में आए इस भारी अंतर ने किसानों की आर्थिक स्थिति को हिला कर रख दिया है।

उत्पादन लागत भी नहीं निकल रही

किसान दीपक कुमार ने बताया कि उन्होंने फसल की कटाई के लिए हार्वेस्टर, जुताई के लिए किराए का ट्रैक्टर, महंगे बीज, खाद, कीटनाशक और सिंचाई पर बड़ी राशि खर्च की थी। इसके अलावा तना छेदक और भूरा माहू जैसे कीटों ने भी फसल को नुकसान पहुंचाया। तमाम मेहनत और लागत के बावजूद उन्हें केवल 1650 रुपए प्रति क्विंटल की दर मिल रही है, जिससे लागत भी नहीं निकल पा रही।

मजदूरी और मौसम की मार

किसान दीनदयाल, संतोष, विष्णु, मदन और गोपाल जैसे कई किसान बताते हैं कि दिनभर वे धान सुखाने और बोली के लिए मंडी में इंतज़ार करने में बिता देते हैं। अगर उनकी मेहनत का मूल्य मजदूरी के हिसाब से जोड़ा जाए तो वे हजारों रुपए की अतिरिक्त मेहनत कर रहे हैं।

बदलते मौसम और सुरक्षा की कमी

बदलते मौसम और बारिश की आशंका ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। किसान अपनी उपज को तिरपाल और प्लास्टिक शीट्स से ढक रहे हैं, जिससे उनकी जेब पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है। वहीं मंडियों में टीन शेड की कमी और खुले चबूतरों पर उपज सुखाना मजबूरी बना हुआ है। सुरक्षा की व्यवस्था भी नदारद है, जिससे छुट्टा जानवर धान को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

मंडी में मजबूरी में बेच रहे किसान

मंगलवार को मंडी में अधिकतम बोली 1900 रुपए प्रति क्विंटल तक ही पहुंच सकी। किसान बताते हैं कि उनके पास धान को रोकने का विकल्प नहीं है, क्योंकि उन्हें खेत के अन्य कामों और उधार चुकाने की जल्दी है। मजबूरीवश वे कम दामों पर ही धान बेचने को विवश हैं।