जेईई मेन्स के परिणाम घोषित होने के बाद छात्रों में कॉलेज और कोर्स को लेकर गंभीर मंथन शुरू हो गया है। देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में शामिल NIT और IIIT के पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट होता है कि जहां NIT में 1 लाख 10 हजार तक की रैंक वाले छात्रों को एडमिशन मिला है, वहीं IIIT में 31 हजार रैंक तक वाले छात्र प्रवेश पा चुके हैं।
सीटों की बढ़ती संख्या बनी बड़ी वजह
विश्लेषण से यह भी सामने आया है कि NIT के कई डिपार्टमेंट्स की क्लोजिंग रैंक में वृद्धि देखी गई है। इसका एक बड़ा कारण इन संस्थानों में सीटों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी है। दूसरी ओर, IIIT में पिछले साल क्लोजिंग रैंक में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई।
बदलते कोर्स और करियर की प्राथमिकताएं
एक्सपर्ट्स के अनुसार, छात्र अब ट्रेडिशनल कोर्स के बजाय ऐसे एडवांस और इंडस्ट्री-डिमांड वाले कोर्स को प्राथमिकता दे रहे हैं जो भविष्य में करियर के लिए ज्यादा उपयोगी हैं। यही कारण है कि छात्र अब सिर्फ सरकारी नहीं बल्कि कुछ प्रमुख निजी संस्थानों में भी प्रवेश लेने के लिए उत्सुक हो रहे हैं।
क्लोजिंग रैंक में बदलाव के कारण
क्लोजिंग रैंक में बदलाव के पीछे कई कारण हैं—जैसे सीटों में बढ़ोतरी, मेट्रो शहरों में एडमिशन का ट्रेंड, कोर ब्रांच की तुलना में कंप्यूटर साइंस, IT, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे मॉडर्न कोर्स की मांग, और मनपसंद कॉलेज या ब्रांच न मिलने पर दूसरे विकल्पों को चुनना। साथ ही, NIRF रैंकिंग को ध्यान में रखते हुए भी छात्र कॉलेज का चयन कर रहे हैं।
राज्य स्तरीय संस्थानों की स्थिति
राज्य के NIT के 13 में से कई विभागों में क्लोजिंग रैंक में बढ़ोतरी हुई है, जबकि कुछ में गिरावट भी देखने को मिली है। होम स्टेट और अदर स्टेट कोटे में भी यह उतार-चढ़ाव स्पष्ट रूप से देखा गया है। वहीं, IIIT के तीनों विभागों की क्लोजिंग रैंक में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
यह बदलती प्रवृत्ति बताती है कि छात्र अब केवल रैंक नहीं, बल्कि कोर्स की उपयोगिता और कॉलेज की समग्र गुणवत्ता को देखकर निर्णय ले रहे हैं।