रायपुर, छत्तीसगढ़। वक्फ संशोधन कानून के संसद में पारित होने के बाद छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने राज्यभर में अपनी संपत्तियों पर हो रहे अवैध कब्जों और फर्जी रजिस्ट्रियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के अन्य शहरों में वक्फ संपत्तियों की जांच और सर्वे का कार्य तेज कर दिया गया है।

दिल्ली से पहुंची अधिकारियों की टीम द्वारा संपत्तियों की पहचान, किरायादारों की सूची, और किराया दरों की समीक्षा की जा रही है। साथ ही पुराने किराया एग्रीमेंट को संशोधित कर बाजार दर पर नया एग्रीमेंट तैयार किया जाएगा।


हजारों की जगह चंद सौ में किराए पर दुकानें

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीमराज ने बताया कि कई मस्जिद परिसरों में दुकानों का संचालन किया जा रहा है। इनमें से कई दुकानों पर लोगों ने कब्जा कर लिया है या बहुत ही कम किराया चुका रहे हैं। उन्होंने कहा:

“कई दुकानों का मासिक किराया मात्र ₹300 से ₹4,000 तक है, जबकि बाजार दर ₹10,000 से ₹25,000 होनी चाहिए।”


संपत्तियों की निगरानी के लिए कर्मियों की तैनाती होगी

वक्फ बोर्ड अब हर जिले में स्थानीय कार्यालय खोलने और कर्मचारियों की तैनाती की योजना बना रहा है। बोर्ड अध्यक्ष के अनुसार, वक्फ इंस्पेक्टर, ऑडिटर और अन्य स्टाफ की नियुक्ति से अवैध कब्जों पर लगाम लगेगी और संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा।


कब्जाधारियों और फर्जी रजिस्ट्री वालों पर FIR दर्ज

वक्फ बोर्ड ने कई विवादित संपत्तियों की पहचान कर नोटिस भेजने और एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इनमें रायपुर के धरसींवा तहसील के ग्राम चरोदा की वक्फ संपत्ति (खसरा नंबर 709/2) भी शामिल है, जिसमें कई व्यक्तियों और एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर के खिलाफ शिकायत की गई है।

प्रमुख विवादित संपत्तियाँ:

  • रायपुर के मालवीय रोड पर स्थित 30 दुकानें

  • 42 एकड़ की ज़मीन में से 12 एकड़ पर अवैध कब्जा (एक्सप्रेसवे मार्ग पर)


8 अगस्त 2024 को वक्फ बोर्ड में हुआ बदलाव

8 अगस्त 2024 को डॉ. सलीमराज को छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसके बाद पूरे देश में वक्फ संपत्तियों को लेकर पारदर्शिता और पुनर्गठन की मांग उठी।

बोर्ड अब संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को पत्र भेजकर कब्जाधारियों के खिलाफ एफआईआर करवाने की प्रक्रिया में तेजी ला रहा है।

📌 यह कार्रवाई धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए आरक्षित वक्फ संपत्तियों की रक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।