मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB)। भीषण गर्मी और जल संकट से जूझते प्रदेश में छत्तीसगढ़ का एक छोटा सा गांव सबक बनकर सामने आया है। जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित बैरागी गांव के ग्रामीणों ने वह कर दिखाया, जो सरकारें वर्षों से नहीं कर पाईं। बिना किसी सरकारी मदद के, गांववासियों ने प्राकृतिक जलधारा का रुख मोड़ते हुए पानी को हर घर तक पहुंचा दिया है।

बिना बजट, बिना योजना – सिर्फ मेहनत और सूझबूझ

ताराबहरा ग्राम पंचायत के इस आश्रित गांव में चारों ओर से पहाड़ों से बहती जलधाराओं को गांव तक लाने के लिए ग्रामीणों ने नालियों और लकड़ी-मिट्टी से बने पाइपनुमा रास्तों का निर्माण किया। करीब एक किलोमीटर लंबा यह कच्चा नेटवर्क न सिर्फ पीने के पानी की आपूर्ति करता है, बल्कि खेती-किसानी और घरेलू उपयोग के लिए भी सहारा बना हुआ है।

नालियों में बहता नहीं, पहुंचता है पीने का पानी

जहां आमतौर पर नालियों का मतलब गंदे पानी की निकासी होता है, वहीं बैरागी गांव की नालियां जीवनदायिनी बनी हुई हैं। ग्रामीणों ने पहाड़ से बहती जलधारा को मोड़ते हुए नहरों और कच्चे पाइपों से पानी गांव तक पहुंचाया। जब किसी घर में जरूरत होती है, तो जलधारा का रुख उसी दिशा में मोड़ दिया जाता है।

80 परिवारों की प्यास बुझा रही है जुगाड़ तकनीक

करीब 300 की आबादी वाले इस गांव के सभी परिवार इस तकनीक से लाभान्वित हो रहे हैं। ग्रामीणों की मेहनत ने यह साबित कर दिया है कि जब इच्छाशक्ति हो, तो संसाधनों की कमी भी बाधा नहीं बनती।

सरपंच की गुहार, सरकार से सहयोग की आस

गांव के सरपंच राम प्रसाद ने बताया, “हमने अपनी मेहनत से जल की व्यवस्था कर ली है, लेकिन यदि शासन से मदद मिले तो पक्की नालियां बनाकर इस व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सकता है।”

  • जल जीवन मिशन से उम्मीदें

विधायक रेणुका सिंह ने कहा, “जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल पहुंचाने का संकल्प है। पिछली सरकार के कारण इसमें देरी हुई, लेकिन अब इसकी समयसीमा बढ़ाकर 2028 कर दी गई है। ऐसे गांवों को प्राथमिकता में रखकर योजना का लाभ जल्द दिलाया जाएगा।”

बैरागी गांव की यह पहल केवल एक जुगाड़ नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणा है – कि यदि नीयत और मेहनत हो, तो बिना सरकारी तंत्र के भी बदलाव संभव है।

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