पेंड्री स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल की लचर चिकित्सा व्यवस्था निजी अस्पतालों के लिए वरदान बन गई है। अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों और जरूरी उपकरणों की भारी कमी के चलते गंभीर मरीजों को प्राथमिक इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। इसका फायदा उठाकर निजी अस्पतालों के एजेंट और एंबुलेंस चालक मरीजों को अस्पताल पहुंचने से पहले ही ‘हाईजैक’ कर रहे हैं।

परिसर में ही सक्रिय हैं एजेंट

मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीआरओ डॉ. पवन जेठानी ने बताया कि निजी अस्पतालों के एजेंट परिसर के भीतर सक्रिय रहते हैं। वे आपात स्थिति में पहुंचे मरीजों और उनके परिजनों को अस्पताल में डॉक्टर न होने या जांच की सुविधा न होने का डर दिखाकर निजी अस्पतालों की ओर मोड़ देते हैं। कई बार तो इन मरीजों को एंबुलेंस के जरिए निजी अस्पताल तक पहुंचाने के लिए कोई शुल्क भी नहीं लिया जाता।

एंबुलेंस नेटवर्क से होता है पूरा खेल

सूत्रों के मुताबिक, जब गंभीर मरीज को सरकारी एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज लाया जाता है, तो एंबुलेंस चालक पहले से ही निजी अस्पताल के एजेंट या एंबुलेंस चालक को इसकी सूचना दे देता है। जैसे ही मरीज परिसर में पहुंचता है, उसके परिजनों को घेरकर डराया-धमकाया जाता है और निजी अस्पताल ले जाया जाता है। यह खासकर रात के समय और ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों के साथ अधिक होता है।

इलाज की जगह दुर्व्यवहार

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट समेत कई विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। स्टाफ नर्सों की भी भारी कमी है। सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी महत्वपूर्ण जांच मशीनें भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं। रात में केवल जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर होते हैं, जिससे गंभीर मरीजों का इलाज प्रभावित होता है। इसके अलावा, रात में स्टाफ द्वारा मरीजों और परिजनों से दुर्व्यवहार की भी कई शिकायतें सामने आई हैं।

प्रबंधन की लाचारी

हालात की गंभीरता और शिकायतों के बावजूद अस्पताल प्रबंधन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। निजी एंबुलेंसों को परिसर में प्रवेश से मना करने के बावजूद एजेंटों की सक्रियता बनी हुई है, जिससे मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है।