छत्तीसगढ़ के रायपुर से एक उपभोक्ता विवाद का मामला सामने आया है। कोविड-19 लॉकडाउन के कारण विवाह समारोह स्थगित करने पर एक होटल संचालक ने एडवांस राशि लौटाने से इनकार कर दिया। इस मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग ने हस्तक्षेप करते हुए होटल को 1 लाख रुपये एडवांस और मानसिक पीड़ा व वाद व्यय के रूप में 7,000 रुपये लौटाने का आदेश दिया है।

यह मामला गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर निवासी विकास कुमार गुप्ता से जुड़ा है, जिन्होंने 11 जनवरी 2021 को अपने भाई की शादी के लिए बिलासपुर स्थित होटल इंटरसिटी इंटरनेशनल को 4.91 लाख रुपये में बुक किया था। इस बुकिंग के तहत उन्होंने 1 लाख रुपये की एडवांस राशि होटल को दी थी। विवाह 21 और 22 अप्रैल 2021 को तय था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण शासन ने लॉकडाउन लगा दिया, जिसके चलते विवाह स्थगित करना पड़ा।

विकास कुमार ने बाद में विवाह के लिए 2 जुलाई 2021 की तारीख तय की, लेकिन होटल प्रबंधन ने बुकिंग स्वीकार करने से मना कर दिया और एडवांस राशि लौटाने से भी इनकार कर दिया। इस पर विकास कुमार ने जिला उपभोक्ता फोरम, बिलासपुर में शिकायत दर्ज करवाई।

सुनवाई के दौरान होटल संचालक ने दावा किया कि उन्हें विवाह स्थगन की कोई मौखिक या लिखित सूचना नहीं दी गई थी। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि लॉकडाउन के दौरान सीमित संख्या (50-100 लोगों) के साथ समारोहों की अनुमति थी, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ।

हालांकि, फोरम और आयोग ने जब दस्तावेजों की जांच की तो यह स्पष्ट हुआ कि बिलासपुर जिले को उस समय पूरी तरह कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया था। 14 से 21 अप्रैल 2021 तक प्रतिबंध लागू थे, जिसे बाद में 5 मई तक बढ़ा दिया गया था। ऐसी स्थिति में विवाह आयोजन संभव ही नहीं था। साथ ही, होटल की बुकिंग शर्तों में ऐसी आपदा की स्थिति को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं थी।

अंततः राज्य उपभोक्ता आयोग ने माना कि होटल संचालक का एडवांस राशि जब्त करना मनमाना और गैर-जिम्मेदाराना कृत्य था। आयोग ने होटल को आदेश दिया कि वह विकास कुमार को 1 लाख रुपये एडवांस राशि के रूप में लौटाए, साथ ही मानसिक पीड़ा और वाद व्यय के लिए 7,000 रुपये अतिरिक्त दे।

इस फैसले से उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा को बल मिला है और यह एक मिसाल बन सकता है कि आपदा जैसी स्थितियों में सेवा प्रदाताओं को मानवीय संवेदना के साथ व्यवहार करना चाहिए।