सरगुजा जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर व्यवस्था देखी जा रही है। लुण्ड्रा ब्लॉक के ग्राम बरगीडीह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में समय पर इलाज न मिलने से नवजात की प्रसव से पूर्व ही गर्भ में मौत हो गई।
वहीं उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में समय पर एम्बुलेंस न मिलने से गंभीर नवजात शिशु की मौत हो गई। महिला का घर में प्रसव हुआ था। प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा दोनों को इलाज के लिए उदयपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सांस लेने में परेशानी होने पर नवजात को चिकित्सकों ने अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया था। परिजन एंबुलेस के लिए तीन घंटे तक इंतजार करते रहे। अंतत: नवजात की मौत हो गई।
5 घंटे बाद एंबुलेंस वालों का आया फोन तो परिजन बोले-अब क्या करेंगे आकर
उदयपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मृर्गाडांड़ की विशेष संरक्षित पण्डो जनजाति की एक गर्भवती महिला को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजन ने तत्काल 102 एम्बुलेंस सेवा को कॉल किया, लेकिन एंबुलेंस के पहुंचने से पहले दर्द बढ़ने पर महिला ने घर पर ही दाई की मदद से एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। जन्म के तुरंत बाद नवजात को 102 एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) उदयपुर लाया गया। शिशु का वजन करीब ढाई किलो था। सीएचसी में नाल काटने के बाद कुछ समय तक सब सामान्य था, लेकिन फिर शिशु को सांस लेने में परेशानी होने लगी।
बाइक से ले जाना पड़ा नवजात का शव
आखिरकार रात 11 बजे परिजन बाइक से मां और मृत नवजात को लेकर घर गए। इस घटना ने सिस्टम की असंवेदनशीलता को उजागर कर दिया है। सीएचसी उदयपुर के बीएमओ डॉ. योगेंद्र पैकरा ने कहा, मामले की जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। यह देखा जाएगा कि लापरवाही कहां हुई। वहीं मितानिन मानकुंवर ने पूरी घटना का ब्यौरा देते हुए एम्बुलेंस सेवा की देरी को नवजात की मौत का कारण बताया। इधर परिजन का रो-रोकर बुरा हाल है।