छत्तीसगढ़ के सात शहरी निकायों में कचरे से बिजली बनाने की योजना पर काम प्रस्तावित है, लेकिन अभी तक शासन की स्वीकृति नहीं मिली है। योजना के पहले चरण में रायपुर, दुर्ग और भिलाई नगर निगमों में वेस्ट टू इलेक्ट्रिसिटी प्लांट स्थापित किए जाने हैं। इन नगर निगमों ने संचालनालय नगरीय प्रशासन को प्रस्ताव भेज दिए हैं, लेकिन मंजूरी न मिलने के कारण कार्य आरंभ नहीं हो पाया है।
कचरे से होगी आमदनी, बचेगा खर्च, और मिलेगी बिजली
इस परियोजना के तहत न केवल नगर निगमों को आय प्राप्त होगी, बल्कि कचरे के निस्तारण पर होने वाला खर्च भी घटेगा। सबसे अहम बात यह है कि प्लांट से उत्पादित बिजली से नगर निगमों को मुफ्त बिजली मिल सकेगी या इसे छत्तीसगढ़ पावर कारपोरेशन को बेचा जाएगा। इससे निगमों के बिजली बिल में काफी कमी आएगी।
किन शहरों को चुना गया है
वेस्ट टू एनर्जी योजना के पायलट प्रोजेक्ट के लिए जिन सात निकायों का चयन हुआ है, वे हैं: रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, रतनपुर, बोदरी और मुंगेली। इन सभी स्थानों पर प्लांट लगाने की योजना बनाई गई है।
कचरे का अंबार, समाधान बनेगी यह योजना
राज्य के शहरी क्षेत्रों में हर दिन सैकड़ों टन कचरा उत्पन्न हो रहा है। अकेले रायपुर में रोज़ करीब 750 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। कई क्षेत्रों से कचरे का नियमित उठाव नहीं हो पाता, जिससे स्वच्छता पर असर पड़ता है। अन्य नगरों जैसे बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई, कोरबा, धमतरी और जगदलपुर में भी प्रतिदिन 400 से 500 टन कचरा उत्पन्न हो रहा है।
400 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया केंद्र को
राज्य शासन के नगरीय प्रशासन विभाग ने केंद्र सरकार के शहरी आवासन मंत्रालय को 400 करोड़ रुपए की सहायता का प्रस्ताव भेजा है। जैसे ही यह राशि स्वीकृत होती है, सातों निकायों में वेस्ट टू इलेक्ट्रिसिटी प्लांट लगाकर करीब 10 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू किया जाएगा।
यह योजना जहां एक ओर कचरा प्रबंधन की बड़ी चुनौती का समाधान करेगी, वहीं दूसरी ओर हरित ऊर्जा उत्पादन में भी महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।