छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के कटघोरा वनमंडल अंतर्गत चैतुरगढ़ क्षेत्र में एक बार फिर बाघ या उससे मिलते-जुलते किसी जंगली जानवर के पैरों के निशान मिलने से हड़कंप मच गया है। वन विभाग ने इन चिन्हों की तस्वीरें लेकर जांच के लिए वाइल्डलाइफ विभाग को भेजी हैं ताकि यह साफ हो सके कि निशान वास्तव में बाघ के हैं या किसी अन्य जानवर के।
रिपोर्ट का इंतजार और सीसीटीवी की निगरानी
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय हो पाएगा कि इलाके में बाघ की मौजूदगी है या नहीं। इसी बीच जिस स्थान पर पैरों के निशान मिले हैं, वहां कई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि किसी भी तरह की हलचल को रिकॉर्ड किया जा सके।
भैंस का शिकार और दहशत का माहौल
चैतुरगढ़ के जंगल में आज सुबह एक भैंस के शिकार की खबर सामने आई। इससे इलाके में बाघ की मौजूदगी को लेकर अटकलें तेज हो गईं। ग्रामीणों ने तुरंत वन विभाग को सूचना दी। विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पैरों के निशान की जांच की। फुटप्रिंट को दस्तावेजीकृत कर वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों के पास भेजा गया है।
संभावना: बाघ या लकड़बग्घा?
वन विभाग के एसडीओ ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में बाघ जैसी गतिविधियों की सूचना मिल रही है, लेकिन यह अभी तय नहीं हो पाया है कि वह सचमुच बाघ है या फिर कोई अन्य जानवर जैसे लकड़बग्घा।
ग्रामीणों को अलर्ट, जंगल से दूरी की सलाह
वन विभाग ने स्थानीय लोगों को सतर्क किया है और जंगल में न जाने की सलाह दी है जब तक कि जांच रिपोर्ट से कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आ जाती। कैमरों की मदद से रात के समय भी नजर रखी जा रही है।
पिछली बाघिन की मौजूदगी का जिक्र
गौरतलब है कि इसी वर्ष कोरिया जिले से एक बाघिन कटघोरा क्षेत्र में आई थी, जिसे ट्रैंकुलाइज कर कॉलर आईडी से ट्रैक किया गया था। हालांकि, फिलहाल उस बाघिन की स्थिति इस क्षेत्र में दर्ज नहीं हुई है।
चैतुरगढ़ के जंगल में बाघ की मौजूदगी को लेकर एक बार फिर सस्पेंस बना हुआ है, और इसकी पुष्टि रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी।