राजधानी में लंबे समय से अधूरे पड़े स्काईवॉक प्रोजेक्ट को लेकर एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। जहां एक ओर सरकार ने इस परियोजना पर काम दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। कांग्रेस का कहना है कि स्काईवॉक भ्रष्टाचार और जनता के पैसों की बर्बादी का प्रतीक बन गया है, जबकि भाजपा इसे अधूरे विकास को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम बता रही है।
डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि राजधानी की बढ़ती ट्रैफिक समस्या को देखते हुए स्काईवॉक का प्लान बनाया गया था। पहले काफी हद तक इसका काम पूरा हो चुका था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने जानबूझकर इसे रोक दिया। उन्होंने कहा कि खुद कांग्रेस की बनाई जांच कमेटी ने इस प्रोजेक्ट को जरूरी बताया था, फिर भी काम को रोका गया।
अरुण साव ने जानकारी दी कि अब इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए 37.75 करोड़ रुपये के टेंडर स्वीकृत हो चुके हैं और जल्द ही काम में तेजी लाई जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि काम की लगातार निगरानी की जाएगी ताकि इसे समय पर पूरा किया जा सके।
इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने पलटवार करते हुए कहा कि स्काईवॉक के बजाय सरकार को फ्लाईओवर जैसी सुविधाएं विकसित करनी चाहिए, जिससे जनता को तत्काल राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि पहले भी इस प्रोजेक्ट के टेंडर की लागत 37 करोड़ से बढ़ाकर लगभग 67 करोड़ कर दी गई थी, फिर भी यह अधूरा रह गया। अब फिर से 37 करोड़ से अधिक का टेंडर जारी करना जनता के साथ अन्याय है।
कांग्रेस ने सरकार से अपील की कि वह राजनीतिक जिद छोड़कर राजधानी की वास्तविक जरूरतों को समझे और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर एक ठोस योजना के तहत काम करे।