बस्तर जिले में सोमवार से राशन वितरण पूरी तरह ठप हो गया है। जिले की सभी 485 शासकीय उचित मूल्य राशन दुकानों पर ताले लटक गए हैं, जिससे हजारों उपभोक्ता खाली हाथ घर लौटने को मजबूर हो गए। विक्रेताओं ने सात सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है, जिसके चलते सरकार की एकमुश्त राशन वितरण योजना पर भी असर पड़ा है।

विक्रेताओं की मुख्य मांगें

विक्रेताओं की मांगों में ‘वन फिंगर’ वितरण प्रणाली लागू करना, 2018 से लंबित बारदाना राशि का भुगतान, राज्य और केंद्र सरकार के अनुसार कमीशन तय करना, ई-पॉस मशीनों की कार्यक्षमता में सुधार, एम-2 प्रणाली में खाद्यान्न कटौती बंद करना, सुखत-झड़त की छूट विक्रेताओं को भी देना, और नियमित कमीशन व मार्जिन मनी का समय पर भुगतान शामिल है।

कृषि मंडी में उठाई आवाज

विक्रेताओं ने कृषि उपज मंडी में एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाई। उनका कहना है कि सरकार की नीतियों के चलते उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पिछले साल भी आश्वासन के बाद कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई, जिससे अब वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।

प्रशासन की चुप्पी, उपभोक्ताओं की चिंता

खाद्य विभाग की ओर से अभी तक इस हड़ताल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। यदि यह हड़ताल लंबी चलती है, तो उपभोक्ताओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। जून माह में तीन माह का राशन एकसाथ वितरित किया जाना था, लेकिन हड़ताल के चलते यह वितरण रुक गया है।

संघ नेताओं की चेतावनी

विक्रेता संघ के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन शीघ्र कोई ठोस निर्णय नहीं लेता, तो आगामी तीन माह का राशन वितरण पूरी तरह से रोका जा सकता है। इससे जिले के हजारों परिवारों को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ सकता है।

अब सबकी नजर शासन-प्रशासन पर टिकी है कि वह विक्रेताओं की मांगों को कितना गंभीरता से लेता है और समाधान के लिए क्या कदम उठाता है।