छत्तीसगढ़ की राजधानी में अप्रैल के चौथे सप्ताह में गर्मी ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सूरज जैसे आग उगल रहा हो और तापमान लगातार 43 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है, जो सामान्य से 3-4 डिग्री अधिक है। इस तीव्र गर्मी का असर अब लोगों की सेहत पर दिखने लगा है। शहर के एम्स, आंबेडकर अस्पताल, जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों में लू से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

डॉक्टरों के अनुसार, आंबेडकर अस्पताल में प्रतिदिन 5 से 10 मरीज लू के इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जबकि लक्षण वाले मरीजों की संख्या 25 से भी अधिक हो चुकी है। सोमवार और मंगलवार को राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में 50 से ज्यादा मरीजों को लू और उससे संबंधित लक्षणों के इलाज के लिए भर्ती किया गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि हीट स्ट्रोक, हीट एग्जॉशन और गर्मी से जुड़ी अन्य बीमारियां गंभीर रूप ले सकती हैं। नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉ. आरके पंडा का कहना है कि इस भीषण गर्मी का सबसे अधिक असर फेफड़ों पर पड़ता है। शरीर में पानी की कमी के कारण सांस लेने में दिक्कत और फेफड़ों में सूजन की समस्या हो सकती है।

डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा, प्रोफेसर मेडिसिन, ने सलाह दी है कि अप्रैल से जून तक खानपान और दिनचर्या में बदलाव बेहद जरूरी है। हल्का भोजन करें और तैलीय चीजों से परहेज रखें। उन्होंने कहा कि दोपहर के समय बच्चों और बुजुर्गों को बाहर ले जाने से बचें और यदि आवश्यक हो तो पूरी सावधानी के साथ ही घर से बाहर निकलें।

डॉक्टरों की अपील है कि तेज धूप और लू से बचने के लिए घर से बाहर निकलने से पहले पर्याप्त सावधानी बरतें, खूब पानी पिएं और शरीर को ठंडा रखने के उपाय अपनाएं, ताकि लू के खतरे से बचा जा सके।