छत्तीसगढ़ समेत देश के 159 जिलों में जल जीवन मिशन के तहत चल रही योजनाओं की गहन जांच और मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। जल जीवन मिशन में अनियमितताओं की शिकायतें केंद्र तक पहुंच चुकी हैं, जिसके बाद भारत सरकार ने इस दिशा में गंभीर कदम उठाया है।
देशभर में 148 केंद्रीय नोडल अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो चयनित जिलों का दौरा कर योजना की प्रगति और पारदर्शिता का आकलन करेंगे। छत्तीसगढ़ के रायगढ़, बेमेतरा और जांजगीर-चांपा जिलों को भी इस सूची में शामिल किया गया है। संभावना है कि केंद्रीय टीम सोमवार को इन जिलों का निरीक्षण कर सकती है।
मीडिया में लगातार जल जीवन मिशन में गड़बड़ियों को लेकर प्रकाशित रिपोर्टों के चलते केंद्र सरकार ने एक्शन लिया है। छत्तीसगढ़ के इन तीन जिलों की जांच के लिए एक केंद्रीय नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है, जो स्थानीय तकनीकी विशेषज्ञों, भूजल वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम के साथ मिलकर कार्यों का मूल्यांकन करेंगे।
निरीक्षण के दौरान जल शक्ति मंत्रालय द्वारा चिन्हित क्षेत्रों में जाकर टीम योजनाओं के हर पहलू की जांच करेगी। निर्माण स्थलों की तस्वीरें, फील्ड रिपोर्ट, और लाभार्थियों की प्रतिक्रिया के आधार पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
लागत बढ़ने पर बढ़ी सतर्कता
कुछ क्षेत्रों में अधूरे निर्माण, खराब गुणवत्ता और पानी की आपूर्ति न होने जैसी गंभीर शिकायतें सामने आई हैं। कई जगह योजनाओं की लागत भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। इन परिस्थितियों में केंद्र ने योजनाओं की प्रगति की वास्तविक स्थिति जानने के लिए फील्ड असेसमेंट का निर्णय लिया है।
लाभार्थियों से लिया जाएगा फीडबैक
केंद्रीय अधिकारी संबंधित जिलों में जाकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) के अधिकारियों द्वारा कराए गए कार्यों की वास्तविकता जांचेंगे। योजना का काम पूरा हुआ या नहीं, नियमित जल आपूर्ति हो रही है या नहीं, प्रत्येक घर तक नल कनेक्शन पहुँचा या नहीं — ऐसे सभी बिंदुओं पर जानकारी एकत्र की जाएगी। स्थानीय लोगों से बातचीत कर फीडबैक लिया जाएगा, जो रिपोर्ट का अहम हिस्सा बनेगा।
इस कवायद का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जल जीवन मिशन की योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू हो रही हैं या नहीं, और किसी भी प्रकार की लापरवाही या भ्रष्टाचार को समय रहते रोका जा सके।