रायपुर |
छत्तीसगढ़ के पंजीयन एवं स्टांप मंत्री ओपी चौधरी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश देते हुए मंत्रालय में कुछ अधिकारियों को तलब कर सख्त फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि यदि नई रजिस्ट्री प्रक्रिया में कोई बाधा डालेगा, तो उसकी पुरानी गड़बड़ियों की फाइलें ACB और EOW को सौंप दी जाएंगी। यही नहीं, कुछ फाइलों में सिर्फ कोरे कागज थे—लेकिन डर दिखाने के लिए इतना ही काफी था।

फिल्मी अंदाज़ में अफसरों को चेताया

मंत्री चौधरी ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि उन्होंने डॉन फिल्म के डायलॉग की तर्ज पर अफसरों को सबक सिखाया। उन्होंने कहा, “कुछ फाइलों में बस कोरे कागज थे, पर जो गलत करता है, उसे डर तो होता ही है।” अफसर इसलिए नाराज़ थे क्योंकि सरकार रजिस्ट्री के तुरंत बाद नामांतरण (mutation) की प्रक्रिया को ऑन-स्पॉट करने की व्यवस्था लागू कर रही है, जिससे रिश्वतखोरी बंद हो रही है।

रजिस्ट्री सिस्टम में बड़े बदलाव

मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि सरकार ने जमीन रजिस्ट्री की डिजिटल और पारदर्शी व्यवस्था तैयार की है, जिससे धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।

1. रजिस्ट्री के साथ नामांतरण

अब रजिस्ट्री होते ही नामांतरण अपने आप हो जाएगा। नागरिकों को अब तहसील के चक्कर नहीं लगाने होंगे।

2. ज़मीन की तस्वीर और लोकेशन रिकॉर्ड में

सुगम एप के जरिए प्रॉपर्टी के सामने खड़े होकर तस्वीर ली जाती है, जो GPS लोकेशन के साथ रिकॉर्ड होती है। इससे एक ही जमीन की दोबारा बिक्री रोकने में मदद मिलती है।

3. आधार से लिंकिंग और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन

अब जमीन बेचने वाले की फिंगरप्रिंट और रेटिना स्कैन से आधार से मिलान किया जाएगा, जिससे फर्जी पहचान से जमीन बेचने की घटनाएं रुकेंगी।

4. डिजिटल डॉक्युमेंट्स और हिस्ट्री

  • लैंड रिकॉर्ड की पूरी हिस्ट्री ऑनलाइन मिलेगी।

  • व्हाट्सएप या डिजिलॉकर में दस्तावेज मिल जाएंगे।

  • अब पटवारी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

भ्रष्टाचार पर लगाम

पहले नामांतरण के लिए 10 से 50 हजार तक की रिश्वत देनी पड़ती थी। प्रक्रिया लंबी और जटिल थी। अब यह पूरी तरह निशुल्क और स्वतः होगी। यह व्यवस्था पहले सिर्फ आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में थी, अब छत्तीसगढ़ देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है जो यह सुधार लागू कर रहे हैं।