अंबिकापुर की समाजसेवी वंदना दत्ता ने 10 साल पहले एक नेक सोच के साथ एक पहल की शुरुआत की थी—”रात्रिकालीन भोजन सेवा”। उनका उद्देश्य था कि कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति रात में भूखा न सोए। उन्होंने इस सेवा की शुरुआत अपने घर पर बना भोजन लेकर कंपनी बाजार में जरूरतमंदों को खिलाकर की।
धीरे-धीरे उनके इस पुनीत कार्य से कई महिलाएं जुड़ती गईं और आज यह संख्या 20 तक पहुंच चुकी है। ये महिलाएं सप्ताह में तीन दिन—सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को—अपने-अपने घरों में भोजन तैयार कर कंपनी बाजार में पहुंचती हैं और लगभग 50 जरूरतमंद लोगों को प्रेमपूर्वक भोजन कराती हैं।
यह सेवा केवल सामान्य दिनों तक सीमित नहीं रही, बल्कि कोविड जैसी आपात स्थिति में भी निरंतर जारी रही। कुछ लोगों ने समय के साथ दूरी बना ली, लेकिन आज भी कई महिलाएं पूरे समर्पण भाव से इस सेवा में जुटी हैं।
Vandana Dutta
वंदना दत्ता का कहना है कि यह प्रयास सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और सामाजिक ज़िम्मेदारी का प्रतीक है। उनकी यह प्रेरणादायक पहल समाज को यह संदेश देती है कि अगर मन में इच्छा हो, तो बदलाव की शुरुआत किसी एक इंसान से भी की जा सकती है।