प्रदेश में पेट्रोल पंपों के संचालन को लेकर शासन ने नया नियम लागू कर दिया है, जिसके तहत अब पेट्रोल पंप का लाइसेंस खाद्य विभाग के बजाय सीधे पेट्रोलियम कंपनियां जारी करेंगी। इस बदलाव के बाद खाद्य विभाग और जिला प्रशासन की पेट्रोल पंपों पर किसी भी तरह की निगरानी या जांच की जिम्मेदारी खत्म हो गई है। अब केवल नापतौल विभाग को ही निरीक्षण करने का अधिकार होगा।

नए नियम के लागू होने के बाद पेट्रोल पंप संचालकों की मनमानी तेज हो गई है। न तो ग्राहकों को हवा-पानी की बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं और न ही शौचालय जैसी जरूरी व्यवस्था का पालन किया जा रहा है। कई जगहों पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। अग्निशमन यंत्रों की ठीक से देखरेख नहीं हो रही, जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है। साथ ही, तेल मापने में भी गड़बड़ी और ईंधन की गुणवत्ता को लेकर भी कई शिकायतें सामने आ रही हैं।

ग्राहकों का आरोप है कि कुछ पेट्रोल पंप जानबूझकर ईंधन कम मात्रा में देते हैं और हवा मशीन खराब होने या कर्मचारी के न होने जैसे बहाने बनाकर सुविधाएं देने से बचते हैं। इन लापरवाहियों की जांच के लिए अब कोई विभाग जिम्मेदार नहीं है, जिससे पंप संचालकों की मनमानी पर रोक लगाना मुश्किल हो गया है।

जिला खाद्य अधिकारी रविंद्र सोनी ने भी स्पष्ट किया है कि अब लाइसेंस और जांच की जिम्मेदारी पेट्रोलियम कंपनी की है, इसलिए खाद्य विभाग की भूमिका समाप्त हो चुकी है। इससे साफ है कि अब पेट्रोल पंपों की निगरानी कमजोर हो गई है और उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।