गैस एजेंसियां महज कुछ खर्च बचाने के लिए लोगों की सुरक्षा को ताक पर रख रही हैं। नियमों के अनुसार, गैस सिलेंडरों को पहले एजेंसी के गोदाम में लाना जरूरी है ताकि उनकी जांच की जा सके और फिर सुरक्षित रूप से ग्राहकों को सप्लाई किया जाए। लेकिन कई एजेंसियां इस प्रक्रिया को नजरअंदाज करते हुए सीधे डिपो से सिलेंडर उठाकर उपभोक्ताओं तक पहुंचा रही हैं।

इस लापरवाही के चलते उपभोक्ताओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे गैस लीक, सिलेंडर में वजन की कमी या जर्जर हालत के सिलेंडर की डिलीवरी। इससे गंभीर हादसों का खतरा लगातार बना हुआ है।

शिकायतें बढ़ीं, लेकिन कार्रवाई नहीं

कंपनियों के पास सिलेंडर में गैस की कमी, लीकेज जैसी कई शिकायतें पहुंच चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एजेंसियां तय नियमों के तहत गोदाम में रखकर सिलेंडर सप्लाई करें, तो इन खामियों को पहले ही पकड़ा जा सकता है और समय रहते सुधार किया जा सकता है। लेकिन सीधे सप्लाई देने से यह संभव नहीं हो पाता।

सार्वजनिक स्थलों पर हो रहा वितरण

कई गैस एजेंसियां गोदाम का उपयोग ही नहीं कर रहीं। वे सड़क किनारे या सार्वजनिक जगहों पर ट्रकों से ही सिलेंडरों का वितरण करने लगी हैं। ऐसे में अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो उसका असर आसपास के लोगों पर भी पड़ सकता है। इसके बावजूद सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए जाते और गैस कंपनियां भी चुप्पी साधे हुए हैं।

खाद्य विभाग ने दी चेतावनी

खाद्य विभाग के कंट्रोलर भूपेंद्र मिश्रा ने स्पष्ट कहा है कि डिपो से सीधे सिलेंडर पहुंचाना नियम के खिलाफ है। सिलेंडरों को पहले गोदाम लाना अनिवार्य है और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

शहर के विस्तार और आबादी बढ़ने के बावजूद एजेंसियां सुविधाजनक और सस्ता तरीका चुन रही हैं, जो कि बेहद खतरनाक है। जरूरी है कि प्रशासन और गैस कंपनियां इस पर गंभीरता से ध्यान दें और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।